देवघरः झारखंड गठन के बाद देवघर में जमीन का कारोबार तेजी से बढ़ा. दस वर्षो के दौरान देवघर में रिकार्ड तोड़ जमीन की रजिस्ट्री हुई. देवघर भूमि घोटाला की जांच कर रही सीबीआइ ने देवघर रजिस्ट्री ऑफिस से पिछले दस वर्षो में देवघर में हुई जमीन की रजिस्ट्री का ब्योरा मंगवाया है. इस दौरान 2001 से 2010 तक देवघर रजिस्ट्री कार्यालय में हुई भू-खंडों की रजिस्ट्री की संख्या व डीड की सर्टिफाइड कॉपियां मांगी गयी है.
सूत्रों के अनुसार दस वर्षो के दौरान देवघर रजिस्ट्री ऑफिस में सर्वाधिक 2003 में 4,779 भू-खंडों की रजिस्ट्री हुई है. इसका ब्योरा सीबीआइ को उपलब्ध कराया गया है. शेष नौ वर्षो में जमीन की रजिस्ट्री की संख्या ढाई से तीन हजार में है. इसमें 2007 में सबसे कम जमीन की रजिस्ट्री हुई है. चूंकि 2007 में कुछ दिनों के लिए एनओसी प्रक्रिया पर रोक लगी थी. जबकि रजिस्ट्री में वृद्धि 2002 में ही तेजी से हुआ. 2004 में एनओसी की प्रक्रिया चालू होने के बाद कारोबारियों के लिए जमीन की खरीद-बिक्री सबसे उत्तम बिजनेस बन गया.
आरोपितों के नाम से कितनी जमीन की हुई रजिस्ट्री
सूत्रों के अनुसार सीबीआइ जमीन की रजिस्ट्री की संख्या समेत डीड की कॉपी से यह जानने का प्रयास कर रही है कि इसमें देवघर भूमि घोटाला के आरोपितों के नाम से कितनी व कौन-कौन सी जमीन की रजिस्ट्री हुई है. इसमें भूमि घोटाला में शामिल जमीन के अलावा आरोपितों ने अपने नाम से कहां-कहां भू-खंडों की रजिस्ट्री 10 वर्षो से करायी है. बताया जाता है कि सीबीआइ अपने अनुसंधान में जमीन की रजिस्ट्री का ब्योरा शामिल करेगी.