-उमेश कुमार-
संयुक्त राष्ट्र संघ ने दुनिया भर में फैले पुरातात्विक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासतों (धरोहरों) के प्रति सम्मान और संरक्षण की चेतना जगाने के लिए ‘विश्व विरासत दिवस’ मनाने की परंपरा शुरू की है. इस दिन दुनिया भर की विरासतों पर चर्चा होती है, उनके अतीत का यशोगान किया जाता है और वर्तमान समय में उनकी भौतिक स्थिति का आकलन करते हुए आवश्यकतानुसार उनके संरक्षण या जीर्णोद्धार के उपाय किये जाते हैं. कुछ विश्व विख्यात और अभिनव महत्व की विरासतों को ‘वल्र्ड हेरिटेज’ (विश्व विरासत) के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सूचीबद्ध भी किया जाता है.
देवघर एक धार्मिक पृष्ठभूमि का शहर है. समय-समय पर यहां अनेक धार्मिक अनुष्ठान होते हैं. लोक-समागम की दृष्टि से भी यह एक अदभूत शहर है. लेकिन, अधिकतर लोग न तो देवघर की विरासतों से परिचित हैं, न उनके उद्धार की आवश्यकता से वाकिफ. यहां की पुरातात्विक या ऐतिहासिक विरासतों का कोई प्रामाणिक सूचीकरण नहीं हुआ है.दो साल पहले सरकार ने अतिक्रमण अभियान चलाया था. उसमें बुलडोजर द्वारा ऐतिहासिक ्रमहत्व की सड़क पट्टिकाओं (रोड प्लेक्स) को भी ढाह दिया गया. यह बताता है कि प्रशासन में बैठे लोग भी या तो अपनी विरासत से अनजान हैं. ऐसी अव्यवस्था के आलम में हमें देवघर में नष्ट हो रही उन विरासतों को चिह्न्ति करना चाहिए. जिनके संरक्षण की तुरंत आवश्यकता यदि ऐसा नहीं किया गया तो ये विरासतें मिट जायेंगी.
मानसरोवर के घाट : मानसरोवर देवघर का एक पुराना जलाशय है. यहां पुरातात्विक महत्व के दो घाट हैं. एक घाट जलाशय के पूर्वी तट पर और एक घाट दक्षिणी तट पर अवस्थित है. ये घाट चुनारगढ़ के बलुआशाही पत्थर से बने हैं. इन घाटों का निर्माण बादशाह अकबर के सेनापति मानसिंह ने सन 1585 ई में करवाया था. लेकिन, आज उनके बनवाये घाट कथित विकास और सौंदर्यीकरण के निशाने पर हैं.
शहीद आश्रम : यह वतनपरस्ती की विरासत 1942 के क्रांतिकारियों की यादगारी है. यहां शहीद अशर्फीलाल कसेरा की याद में भारत का सीमेंटरी मानचित्र बनाया गया है. वर्गाकार जगह पर यह समाधि बनायी गयी है.यहां स्तंभाधारित तोरणनुमा छत ढालने की योजना थी जो आज तक पूरी नहीं हुई. अब सारी संरचना ढहने के कगार पर है.