सरकारी दर पर 1600 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित था. वहीं बाजार में धन बेचने से किसानों को 400 से 600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से नुकसान हुआ है. आपूर्ति विभाग ने नेकॉफ संस्था को एक सप्ताह के अंदर किसानों से खरीदे गये धान का भुगतान करने की जिम्मेवारी दी थी, लेकिन नेकॉफ संस्था इसमें विफल रही. नेकॉफ की इस लापरवाही पर खाद्य आपूर्ति विभाग के सचिव ने नेकॉफ संस्था को ब्लैक लिस्टेड भी कर दिया है.
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कार्यशैली: जिले मेें वर्ष 2017 में लक्ष्य तीन लाख, खरीदारी 41 हजार क्विंटल, धान खरीदारी की योजना फ्लॉप
देवघर: सरकार की धान अधिप्राप्ति योजना देवघर में पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष फ्लॉप रही. 2016 में जिले में लक्ष्य के अनुसार ढाई लाख क्विंटल धान की खरीदारी हुई, जबकि वर्ष 2017 में जिले में लक्ष्य तीन लाख क्विंटल रखा गया और खरीदारी महज 41 हजार क्विंटल ही हो पायी. विभाग की लेटलतीफी व […]
देवघर: सरकार की धान अधिप्राप्ति योजना देवघर में पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष फ्लॉप रही. 2016 में जिले में लक्ष्य के अनुसार ढाई लाख क्विंटल धान की खरीदारी हुई, जबकि वर्ष 2017 में जिले में लक्ष्य तीन लाख क्विंटल रखा गया और खरीदारी महज 41 हजार क्विंटल ही हो पायी. विभाग की लेटलतीफी व समय पर भुगतान नहीं होने से किसानों ने बाजार में औने-पौने दर पर धान बेच दिया.
सरकारी दर पर 1600 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित था. वहीं बाजार में धन बेचने से किसानों को 400 से 600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से नुकसान हुआ है. आपूर्ति विभाग ने नेकॉफ संस्था को एक सप्ताह के अंदर किसानों से खरीदे गये धान का भुगतान करने की जिम्मेवारी दी थी, लेकिन नेकॉफ संस्था इसमें विफल रही. नेकॉफ की इस लापरवाही पर खाद्य आपूर्ति विभाग के सचिव ने नेकॉफ संस्था को ब्लैक लिस्टेड भी कर दिया है.
28 पैक्सों ने मील नहीं पहुंचाया 80 लाख का धान : नेकॉफ संस्था ने शुरुआत में 28 पैक्सों के अधीन पांच हजार क्विंटल धान का मूल्य 80 लाख रुपये किसानों के खाते में भेज दिया था, लेकिन इन 28 पैक्सों ने राइस मिलों तक धान नहीं पहुंचाया है. नेकॉफ संस्था द्वारा डीसी को पत्र लिखकर उक्त राशि पैक्सों द्वारा सरेंडर कराने का आग्रह किया है. नेकॉफ के अनुसार, पैक्सों की रिपोर्ट पर ही उन किसानों को राशि भुगतान की गयी, जिन्होंने धान पैक्स के पास पहुंचाया. अगर किसान वापस पैक्स से धान ले गये तो पैक्स अध्यक्षों ने पहले सूचित क्यों नहीं किया. ऐसी परिस्थिति में पैक्स अध्यक्ष को किसान से रिकवरी करनी चाहिए या पैक्स को ही राशि सरेंडर करना चाहिए.
बीडीओ-बीसीओ ने नहीं दी जांच रिपोर्ट
नेकॉफ की शिकायत के बाद डीसी ने सभी बीडीओ व बीसीओ को धान के स्टॉक व मिल भेजे जाने का सत्यापन करने का निर्देश दिया था. लेकिन अब तक एक भी बीडीओ व बीसीओ द्वारा जांच कर रिपोर्ट खाद्य आपूर्ति विभाग को नहीं सौंपी गयी है. इसके अलावा कई किसानों का भुगतान भी अभी लंबित है, जिसे एसएफसी द्वारा भुगतान किया जायेगा.
नेकॉफ को ब्लैक लिस्टेड किये जाने के बाद एसएफसी द्वारा किसानों को धान अधिप्राप्ति की बकाया राशि देने की प्रक्रिया चल रही है. जिन पैक्सों में धान का स्टॉक है या राइस मिल भेजा गया है, इसके सत्यापन की जिम्मेवारी बीडीआे व बीसीओ को दी गयी थी. अब तक रिपोर्ट अप्राप्त है.
– दिलीप कुमार सिंह, डीएसओ, देवघर
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