देवघर: देव नगरी में कीर्तन का एक युग समाप्त हो गया. नामी कीर्तनियां गंगा नंद खवाड़े उर्फ भालचंद बाबा का 57 वर्ष के आयु में निधन हो गया. देव नगरी पूर्व में एक बार पूरी तरह महामारी की चपेट आ गया था.
इस दौर में खवाड़े जी की आंख की रोशनी चली गई थी. काफी इलाज के बाद कोई सफलता नहीं मिलने पर खवाड़े जी के पिता जी ने बाबा के शरण में भेज दिया था. तभी से प्रति दिन किसी के सहारे मंदिर जाकर बाबा बैद्यनाथ के चिराग से आंख में घी लगाते रहे. कुछ दिनों में ही बाबा का चमत्कार दिखाई पड़ा उनके आंख में थोड़ी रोशनी आ गई तभी से वे कीर्तन से जुड़ गये.
अस्सी के दशक में सर्व प्रथम बालेश्वरी कीर्तन गोपाल कीर्तन मंडली से जुड़ गये. उसके उपरांत गंगा बाबू ने फूलचंद कीर्तन मंडली के लिये भी पांच साल तक परिसर में कीर्तन गाते रहे. बाद में मशानी कीर्तन मंडली से जुड़े. गांगा बाबू अपने पीछे पत्नी, बेटी राखी, दो बेटा भवानी नंद व जय नंद खवाड़े सहित नाती भाई समेत भरापूरा परिवार छोड़ गये. गंगा बाबू के पुत्र ने बताया की बाबू जी को इस बार वैशाख महोत्सव के समय मंदिर परिसर में कीर्तन करने की बहुत ही इच्छा थी. भालचंद बाबा के प्रमुख भजनों में दुनियां बनाने वाले बना के चलाने वाले उनका ही काम है, प्रभु का जबरदस्त इंतजाम है.., त्रीपुरारी हो…, हे भोले नाथ दया करो आदि था.