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मंधनिया जंगल में बिखरे पड़े हैं प्राचीन अवशेष

गिद्धौर : प्रखंड मुख्यालय से आठ किमी व चतरा-हजारीबाग पथ स्थित बघमरी से दो किमी की दूरी पर स्थित है मसूरिया गांव. गांव के मंधनिया जंगल में कई पुरातात्विक अवशेष बिखड़ेे पड़े हैं. यहां पर प्राचीन मेगालिथ भी हैं. अवशेष सदर प्रखंड के डहुरा गांव से मिली अवशेषों से मिलते जुलते हैं. सदियों से पड़े […]

गिद्धौर : प्रखंड मुख्यालय से आठ किमी व चतरा-हजारीबाग पथ स्थित बघमरी से दो किमी की दूरी पर स्थित है मसूरिया गांव. गांव के मंधनिया जंगल में कई पुरातात्विक अवशेष बिखड़ेे पड़े हैं. यहां पर प्राचीन मेगालिथ भी हैं. अवशेष सदर प्रखंड के डहुरा गांव से मिली अवशेषों से मिलते जुलते हैं. सदियों से पड़े यह अवशेष बदरंग होने लगे हैं. ग्रामीण इन प्राचीन अवशेषों की पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं. पत्थरों पर बछड़े को दूध पिलाती गाय व अन्य पालतू पशुओं की तसवीर उकेरे गये हैं. यहां मंधाइन (दही से मक्खन निकालने का उपकरण) पत्थर का हैं, जो आकर्षक तरीके से तराश कर बनाया गया हैं. ग्रामीण कहते है कि इसी मंधाइन के नाम से इस क्षेत्र का नाम मंधनिया पड़ा. जंगल में अन्य कई जगहों पर भी अवशेष बिखड़े पड़े हैं.
अध्ययन से मिलेगी अहम जानकारी: क्षेत्र में पड़े इन अवशेषों के अध्ययन से कई अहम जानकारी मिलने की संभावना हैं. प्राचीन काल में यहां के जीवनशैली की जानकारी इस अवशेषों से मिल पायेगी.
नवपाषाण काल के हो सकते हैं अवशेष: मंधनिया जंगल में पड़े अवशेष नवपाषाण काल के हो सकते हैं. इस काल में मनुष्य ने पशुपालन व कृषि का काम करना शुरू कर दिये थे. पत्थरों पर चित्रकारी करने की कला भी इस दौर में पूरी तरह से विकसित हो चुकी थी.

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