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ग्रामीणों ने निजी खर्च से लगाये चार चापाकल
कुंदा : पेयजल संकट से निजात पाने के लिए सिंदरी व खूटबलिया गांव के लोगों ने अपने पैसे से चार चापानल लगाये हैं. ग्रामीणों ने सांसद, विधायक व जिला प्रशासन से निराश होकर निजी खर्च से चापाकल लगाये हैं. पीएचइडी विभाग के पदाधिकारी उक्त गांवों में बोरिंग गाड़ी पहुंचने का रास्ता नहीं हैं, यह बात […]
कुंदा : पेयजल संकट से निजात पाने के लिए सिंदरी व खूटबलिया गांव के लोगों ने अपने पैसे से चार चापानल लगाये हैं. ग्रामीणों ने सांसद, विधायक व जिला प्रशासन से निराश होकर निजी खर्च से चापाकल लगाये हैं. पीएचइडी विभाग के पदाधिकारी उक्त गांवों में बोरिंग गाड़ी पहुंचने का रास्ता नहीं हैं, यह बात कह कर उपायुक्त को भरमाते रहें. नवादा व बोधाडीह पंचायत के लोग सालों भर नदी-नाला के पानी से प्यास बुझाते रहे हैं. जैसे ही बोरिंग गाड़ी गांव पहुंची, ग्रामीणों की भीड़ लग गयी. सभी के चेहरे खुशी से छलक उठे.
बोरिंग होने तक बैठे रहें. चापानल लगने से लोगों को शुद्ध पेयजल मिलेंगी. सिंदरी गांव के पुनाई गंझू, राजदेव गंझू, खूटबलिया के संजय गंझू, संतोष गंझू शामिल हैं. सभी ने 40-50 हजार खर्च कर अपने घरों के आसपास चापानल लगाये हैं. संतोष गंझू ने बताया कि चापानल लगाने के लिए दूसरे जगह मजदूरी कर पैसा जमा किया.
बहुत दिनों से सपना था कि घर के पास चापानल लगे. अब लोगों को पेयजल संकट से नहीं जूझना पड़ेगा. पुनाई गंझू ने बताया कि चुनाव के समय जनप्रतिनिधि गांव आकर पेयजल संकट दूर करने के लिए आश्वासन दिये. लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. ग्रामीणों ने बताया कि गरमी के दिनों में नदी व कुआं का जलस्तर सूख जाता हैं. छह से सात किमी दूर कोयता गांव से पानी लाकर प्यास बुझाते हैं. गांव में पानी व सड़क की सुविधा नहीं होने से कई युवकों की शादी टूट चुकी हैं. बचकुमा के झेबी गंझू के पुत्र कमेश्वर गंझू की शादी के लिए लावालौंग से रिश्ता आया था. लेकिन सड़क व पेयजल की सुविधा नहीं होने से शादी से इनकार कर दिया.
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