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10 वर्ष से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं स्कूल टीचर जयप्रकाश रजक

बरुण सिंह चतरा जिले के टंडवा प्रखंड अंतर्गत सिसई विद्यालय में पढ़ाते हैं जयप्रकाश रजक. बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ वह पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दे रहे हैं. बिना किसी सरकारी सहायता के सरकार के हरियाली कार्यक्रम को बढ़ावा दे रहे हैं. इस वर्ष उन्होंने 300 इमारती पौधे लगाने का संकल्प लिया है. अपने […]

बरुण सिंह

चतरा जिले के टंडवा प्रखंड अंतर्गत सिसई विद्यालय में पढ़ाते हैं जयप्रकाश रजक. बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ वह पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दे रहे हैं. बिना किसी सरकारी सहायता के सरकार के हरियाली कार्यक्रम को बढ़ावा दे रहे हैं. इस वर्ष उन्होंने 300 इमारती पौधे लगाने का संकल्प लिया है. अपने संकल्प को पूरा करने के लिए वह वन विभाग की नर्सरी से पौधे खरीदते हैं और लोगों के बीच वितरित करते हैं. इस काम में उनके स्कूल के बच्चे भी उनकी मदद करते हैं. जयप्रकाश 10 साल से इस नेक काम में लगे हैं.

वर्ष 2006 में आर्ट ऑफ लिविंग के संपर्क में आने के बाद पेड़ लगाने के उनके शौक को बल मिला. वह कहते हैं कि हर साल कल्पतरु का पौधा लोगों को भेंट करते हैं. वह दो साल से अपने गांव सिसई में रक्षाबंधन कार्यक्रम चला रहे हैं. इसके तहत उनके मित्र और समाजसेवी के अलावा स्कूल के विद्यार्थी पौधों और पेड़ों में रक्षा सूत्र बांध कर उसकी रक्षा का संकल्प लेते हैं. इससे लोगों में जागरूकता आयी है. तेजी से कट रहे वन अब बच रहे हैं. हरियाली से लोगों के जीवन में खुशहाली आ रही है. अभियान के जरिये हजारों सखुआ के पेड़ों को उन्होंने बचाया है. चतरा और रांची से अपनी शिक्षा पूरी करनेवाले जयप्रकाश को वर्ष 1999 में शिक्षक की नौकरी मिली थी.

समाजसेवा में भी रहते हैं आगे

पेड़ लगाने के अलावा समाजसेवा में भी जयप्रकाश रजक बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. सिसई गांव में आर्ट ऑफ लिविंग के सहयोग से उन्होंने 100 इमरजेंसी लाइट का वितरण करवाया. इसे चार्ज करने के लिए 150 वाॅट के 10 चार्जिंग प्वाइंट भी लगवाये, ताकि लोग लाइट को चार्ज करवा कर उसका इस्तेमाल करें.

पौधों को बचाना ज्यादा चुनौतीपूर्ण

जयप्रकाश कहते हैं कि पेड़ लगाने से ज्यादा कठिन काम उन्हें बचाना है. इस बार वन विभाग ने उन्हें 13 गेबियन दिये हैं. भरपूर संख्या में उन्हें गेबियन मिल जाये, तो वह जितने पौधे बांटते हैं, उन्हें जरूर बचा लेंगे.

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