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पुनर्वास स्थल पर 14 करोड़ रुपये खर्च, बरवाबेड़ा की शिफ्टिंग में सफलता नहीं

पुनर्वास स्थल पर 14 करोड़ रुपये खर्च, बरवाबेड़ा की शिफ्टिंग में सफलता नहीं

राकेश वर्मा, बेरमो :

बेरमो कोयलांचल अंतर्गत सीसीएल के बीएंडके एरिया की एकेके (अमलगमेटेड कोनार-खासमहल) परियोजना देश के टॉप 25 कोयला खदानों में शामिल है. इस सूची में झारखंड की सिर्फ तीन कोयला खदानें शामिल हैं. एकेके परियोजना का कोल रिजर्व मार्च 2021 की प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार 87.04 मिलियन टन है. इस परियोजना से सालाना न्यूनतम आठ मिलियन टन तथा अधिकतम 11 मिलियन टन तक उत्पादन करने का इनवायरमेंटल क्लीयरेंस मिला है. फिलहाल इस परियोजना में आउटसोर्स के तहत छह साल के लिए कोल प्रोडक्शन व ओबी रिमूवल का काम केएसएमएल कंपनी कर रही है. इसके अलावा बीकेबी कंपनी भी यहां आउटसोर्स के तहत कोल प्रोडक्शन व ओबी रिमूवल का काम कर रही है. एकेके परियोजना में माइंस विस्तार के लिए परियोजना से सटे बरवाबेड़ा गांव को भी शिफ्ट किया जाना है. इसके लिए दो साल से प्रबंधन प्रयासरत है, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है. यहां के लोगों को तीन किमी दूर केएसपी फेज दो परियोजना में शिफ्ट किया जाना है. कंपनी नार्मस के तहत प्रबंधन मुआवजा सहित अन्य सुविधाओं भी देगी. इस पुनर्वास स्थल में सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सीसीएल ने 14 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. बरवाबेड़ा गांव की शिफ्टिंग के बाद सीसीएल को इस गांव के भू-गर्भ से करीब 40 मिलियन टन कोयला मिलेगा. सालाना सात मिलियन टन से लेकर 11 मिलियन कोयला सात साल तक उत्पादन किया जा सकेगा. चालू वित्तीय वर्ष में भी यहां से सात मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है.

गांव के लगभग 250 घरों को किया जाना है शिफ्ट

बरवाबेड़ा गांव के करीब 250 घरों को शिफ्ट किया जाना है. सीसीएल प्रबंधन ने पहले फेज में बरवाबेड़ा गांव के दरगाह मुहल्ला के 40 लोगों को नये पुनर्वास स्थल में पांच-पांच डिसमिल जमीन प्लॉटिंग कर दी है. अन्य लोगों की शिफ्टिंग के लिए कागजी कार्रवाई चल रही है. दरगाह मुहल्ला के 37 लोगों का शिफ्टिंग के लिए प्रबंधन ने एसेसमेंट किया है. इनके घर के एवज में मुआवजा देना है, जिसके लिए प्रबंधन के पास फिलहाल चार करोड़ रुपया सीसीएल मुख्यालय से आकर पड़ा है. फिलहाल दरगाह मुहल्ला के मात्र एक व्यक्ति ने मुआवजा का ऑफर दिया और उसे भुगतान भी कर दिया गया है.

गोविंदपुर के विस्थापित रैयत कर रहे विरोध

इधर, नये पुनर्वास स्थल में बरवाबेड़ा गांव को शिफ्ट किये जाने का विरोध गोविंदपुर के विस्थापित रैयत कर रहे हैं. उनका कहना है कि उनकी जमीन 80 के दशक में सीसीएल ने अधिग्रहित की थी और 84 विस्थापितों को नौकरी देने का एग्रीमेंट हुआ था. शुरुआती दौर में 63 लोगों को नौकरी दी गयी. 21 लोगों को नौकरी अभी तक नहीं मिली है. ऐसे में पुनर्वास स्थल की जमीन हमारी है. जब तक बकाया नौकरी नहीं मिलेगी, यहां बरवाबेड़ा गांव के लोगों को प्लॉटिंग नहीं करने देंगे. मालूम हो कि जब वर्ष 2020 में नये पुनर्वास स्थल पर संवेदक ने काम शुरू किया तो गोविंदपुर परियोजना के विस्थापित रैयतों ने विरोध किया. आंदोलन के क्रम में एक बार 32 जोड़ा हल के साथ उक्त स्थल पर कुरथी बोयी थी. इसके बाद लगातार 21 दिनों तक धरना दिया गया. बाद में बेरमो विधायक कुमार जयमंगल व बेरमो एसडीएम की मध्यस्थता में विस्थापित रैयतों की दो-तीन राउंड बैठक हुई. सीसीएल सीएमडी स्तर पर भी दो राउंड विधायक की मौजूदगी में वार्ता हुई. विस्थापित संघर्ष समिति के सचिव डॉ दशरथ महतो कहते हैं कि विस्थापितों ने सीसीएल प्रबंधन को अपनी जमीन की वंशावली भी प्रस्तुत की. लेकिन प्रबंधन का कहना है कि जिस वक्त जमीन अधिग्रहण किया गया था, उसी वक्त सभी 84 विस्थापित रैयतों को नौकरी दे दी गयी थी. बीएंडके क्षेत्रीय प्रबंधन का कहना है कि सीओ की मध्यस्थता में ऑन रिकाॅर्ड विस्थापितों से कहा गया कि अगर उनके पास कागजात है तो दिखाएं, लेकिन विस्थापितों ने कागजात सबमिट नहीं किया. सूत्रों की मानें तो अब माइंस विस्तार को लेकर बीएंडके व एकेके प्रबंधन हर हाल में बरवाबेड़ा गांव को शिफ्ट कराना चाह रहा है. संभवत: मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में शिफ्टिंग का काम प्रबंधन जल्द ही शुरू करेगा. एकेके के पीओ केएस गैवाल कहते हैं कि प्रबंधन शिफ्टिंग प्रक्रिया में लगा हुआ है. जल्द ही इसे मूर्तरूप दिया जायेगा.

शिफ्ट करने वालों को क्या मिलेगा

नये पुनर्वास स्थल में शिफ्ट होने वाले परिवार में प्रत्येक व्यक्ति को पांच डिसमिल जमीन प्रबंधन प्लॉटिंग कर के देगा. इस जगह पर शिफ्ट नहीं होना चाहने वाले प्रत्येक व्यस्क को छह लाख रुपये दिये जायेंगे. इसके अलावा शिफ्ट होने वाले लोगों को कोल इंडिया की एन्यूटी स्कीम का लाभ के अलावा विस्थापितों को को-ऑपरेटिव के माध्यम से एक करोड़ रुपया तक का कार्य दिया जायेगा.

पुनर्वास स्थल का काम समाप्त, अभी तक प्रबंधन को हैंड ओवर नहीं

जानकारी के अनुसार नये पुनर्वास में संबंधित संवेदक ने वर्ष 2023 में काम समाप्त कर दिया है, लेकिन प्रबंधन को अभी तक हैंड ओवर नहीं किया गया है. जानकारी के अनुसार सीसीएल प्रबंधन को लाइटिंग के लिए पोल व लाइट लगाने के लिए संवेदक को देना था. लेकिन प्रबंधन द्वारा इस पर पहल नहीं किये जाने के बाद संवेदक ने हैंड ओवर के लिए प्रबंधन को पत्राचार किया. फिलहाल अभी तक प्रबंधन ने हैंड ओवर नहीं लिया है. मालूम हो कि नये पुनर्वास स्थल में दो जगह चहारदीवारी की गयी है. एक चहारदीवारी के अंदर मस्जिद व मदरसा का निर्माण कराया गया है. दूसरी चहारदीवारी में नाली व पीसीसी पथ का निर्माण कराया गया है. 14 करोड़ 61 लाख 65 हजार 896 रुपये की लागत से संजय कंस्ट्रक्शन ने इस काम को लिया था. बाद में पेटी पर 85 फीसदी काम दूसरे संवेदक ने किया. छह सितंबर 2020 को इसका काम शुरू हुआ तथा 2023 में काम समाप्त हो गया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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