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सीसीएल ने पहली बार किया 86 मिलियन टन ने ज्यादा कोयले का उत्पादन

सीसीएल ने पहली बार किया 86 मिलियन टन ने ज्यादा कोयले का उत्पादन

बेरमो. कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई सीसीएल ने समाप्त हुए वित्तीय वर्ष 2023-24 में अपनी स्थापना के बाद पहली बार 86 मिलियन टन कोयला उत्पादन का आंकड़ा पार किया. वित्तीय वर्ष 2023-24 में कोयला उत्पादन लक्ष्य 84 मिलियन टन निर्धारित था. चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में लक्ष्य 100 मिलियन टन है. मालूम हो कि सीसीएल वर्ष 2007 से कैटेगरी 1 मिनीरत्न कंपनी है. सीसीएल की स्थापना (सर्वप्रथम एनसीडीसी लिमिटेड) एक नवंबर 1975 को सीआइएल की पांच सहायक कंपनियों में से एक सहायक कंपनी के रूप में हुई थी. एनसीडीसी (नेशनल कोल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) के रूप में भारत में कोयला के राष्ट्रीयकरण के प्रारम्भ में इसकी घोषणा की गयी थी. एनसीडीसी की स्थापना सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में अक्टूबर 1956 में हुई थी. प्रारंभ में इसका वार्षिक उत्पादन 2.9 मिलियन टन था. चौथी पंचवर्षीय योजना के अंतिम वर्ष 1973-74 में एनसीडीसी का उत्पादन 15.55 मिलियन टन पहुंचा. कोयला खदानों का दो चरणों में राष्ट्रीयकरण हुआ. प्रथम चरण में 17 अक्टूबर 1971 को कोकिंग कोल का तथा 1 मई 1973 में नन-कोकिंग कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण किया गया. स्थापना काल के समय उत्पादन था 20-22 मिलियन टन 1975 में सीसीएल की स्थापना के समय इसका कोयला उत्पादन 20-22 मिलियन टन था. उस समय मैन पावर करीब 1.25 लाख था. वर्तमान में मैन पावर लगभग 32 हजार है. अभी ठेका मजदूरों का आंकड़ा सीसीएल प्रबंधन के अनुसार साढ़े चार हजार के आसपास है. मजदूर नेताओं की माने तो कंपनी में ठेका मजदूरों की संख्या 15 हजार से ज्यादा है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में हुए कुल कोयला उत्पादन में 60 फीसदी उत्पादन आउटसोर्स के माध्यम से तथा 40 फीसदी उत्पादन डिपार्टमेंटल हुआ है. जबकि 70 के दशक में सीसीएल का सालाना उत्पादन 20-22 मिलियन टन था और इसमें 90 फीसदी उत्पादन डिपार्टमेंटल हुआ करता था. 1998 के बाद से धीरे-धीरे कंपनी के छोटे-छोटे कोयला के पैच आउटसोर्स में दिये जाने का प्रचलन शुरू हुआ था. वर्ष 2025-26 तक करना है 135 मिलियन टन उत्पादन सीसीएल के सामने वर्ष 2025-26 तक 135 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य है. इसे हासिल करने के लिए करीब 21 सौ हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता पड़ेगी. आने वाले समय में कई नयी परियोजनाएं आने वाली हैं. इसमें संघमित्रा, चंद्रगुप्त, कोतरे-बंसतपुर-पचमो, हिदगिर, तापीन साउथ. पिछरी, अरगड्डा, जीवनधारा, पिपरवार, पतरातु आदि शामिल हैं. मगध सालाना 75 मिलियन टन, आम्रपाली व चंद्रगुप्त 35-35 मिलियन टन, कारो व कोनार 10-10 मिलियन टन के अलावा सालाना 3-3 मिलियन टन की हैं. सीसीएल का बीएंडके एरिया वर्ष 2025-26 तक सालाना 10 मिलियन टन से ज्यादा उत्पादन करने वाला होगा. कोल डिस्पैच बढ़ाने के लिए सीसीएल ने बीएंडके एरिया की एकेके परियोजना में 46.84 करोड़ की लागत से कोनार रेलवे साइडिंग का निर्माण कराया है. इसके अलावा 266 करोड़ की लागत से नार्थ उरीमारी रेलवे साइडिंग (15 किमी) का निर्माण कार्य किया गया है. समाधान की दिशा में पहल जारी है : सीएमडी सीसीएल सीएमडी डॉ बी वीरा रेड्डी ने कहा कि फिलहाल कुछ जगहों पर माइंस विस्तारीकरण, शिफ्टिंग व वन भूमि के क्लीयरेंस की समस्याएं हैं, जिसके समाधान की दिशा में पहल जारी है. कुछ नयी माइंस आने वाली हैं. इसमें कोतरे- बसंतपुर, चंद्रगुप्त के अलावा मगध एरिया में लैंड ईश्यू है. वन विभाग से स्टेज-दो का क्लीयरेंस मिलने की उम्मीद है. बेरमो की कारो ओसीपी में शिफ्टिंग समस्या है.

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