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जन्म से पहले शिशु को गर्भ से निकाल कर किया गया ट्यूमर का ऑपरेशन

बोकारो की डॉ मनीषा की अगुआई में देश में अपनी तरह का पहला ऑपरेशन सीएमसीइ वेल्लोर में गायनी यूनिट की इंचार्ज हैं डॉ मनीषा सुनील तिवारी बोकारो : 37 सप्ताह का गर्भ. जांच के दौरान पता चला कि गर्भ में पल रहे बच्चा की गर्दन में ट्यूमर है. ट्यूमर सात गुणा अाठ सेमी के आकार […]

बोकारो की डॉ मनीषा की अगुआई में देश में अपनी तरह का पहला ऑपरेशन
सीएमसीइ वेल्लोर में गायनी यूनिट की इंचार्ज हैं डॉ मनीषा
सुनील तिवारी
बोकारो : 37 सप्ताह का गर्भ. जांच के दौरान पता चला कि गर्भ में पल रहे बच्चा की गर्दन में ट्यूमर है. ट्यूमर सात गुणा अाठ सेमी के आकार का था. इससे जन्म लेने के बाद बच्चे के श्वसन क्रिया में परेशानी आने की आशंका थी. भोजन नली में भी परेशानी हो सकती थी. गर्भवती बच्चे की चिंता लेकर सीएमसीइ वेल्लोर पहुंची. डॉक्टर की टीम ने जांच आदि के बाद ऑपरेशन की योजना बनायी. परेशानी यह थी कि इसके लिए गर्भ में पल रहे शिशु को बाहर निकालना पड़ता. इसको लेकर डॉक्टर की टीम चिंतित थी. इस चिंता को बोकारो की डॉ मनीषा मधई बेख ने दूर की.
सीएमसीइ वेल्लोर की एसोसिएट प्रोफेसर व गायनी डिपार्टमेंट की यूनिट इंचार्ज डॉ मनीषा ने डॉक्टर की तीन टीमें बनायी. एक टीम को शिशु को गर्भ से निकालने के बाद ऑक्सीजन सप्लाई की जिम्मेदारी दी गयी. दूसरी टीम को ऑपरेशन की जिम्मेदारी दी गयी. दोनों टीम ने आपसी सामंजस्य स्थापित कर सफल ऑपरेशन किया गया. वहीं एक टीम मां का ख्याल रख रही थी.
थी कई चुनौतियां : डॉ मनीषा मधई की माने तो जन्म से पहले शिशु को गर्भ से निकालना चुनौती था. ऐसा इसलिए क्योंकि जन्म के पहले शिशु को ऑक्सीजन की सप्लाई नाभी से होती है. शिशु को गर्भ से बाहर निकालने के बाद यह सप्लाई बनाये रखना कठिन था.
एक्सपर्ट की टीम ने बच्चा को वेंटिलेटर से ऑक्सीजन सफ्लाई की. इसके बाद ऑपरेशन क्रिया शुरू हुई. लंबे समय तक चले ऑपरेशन का एक-एक पल कठिन था. एक चूक से अनहोनी हो जाती. देश में इस तरह का यह पहला ऑपरेशन है.
विदेश में देश का कर प्रतिनिधित्व चुकी हैं डॉ मनीषा : डॉ मनीषा इससे पहले भी बोकारो का नाम विश्व स्तर पर रोशन कर चुकी हैं. फरवरी 2014 में रॉयल कॉलेज ऑफ लंदन में स्त्री रोग विशेषज्ञ के सम्मेलन में देश का प्रतिनिधित्व किया था. अक्तूबर 2013 में आस्ट्रेलिया में आयोजित पांच दिवसीय स्त्री रोग विशेषज्ञ के सम्मेलन में भाग लिया था. सितंबर 2012 में डॉ मनीषा का चयन सरकारी मेडिकल कॉलेज में फेलोशिप के लिए हुआ था. खास बात यह कि फेलोशिप की दावेदारी में देश के बड़े-बड़े डॉक्टर शामिल थे.
विदेश के मेडिकल बुलेटिन में डॉ मनीषा मधई बेख
डॉ मनीषा के लिखित थिसिस को देश-विदेश के मेडिकल बुलेटिन में जगह मिली है. सिंगापुर, बैंकॉक व हांगकांग के बुलेटिन में प्रकाशित हुई. डॉ मनीषा की प्रांरभिक पढ़ाई सेक्टर एक स्थित संत जेवियर्स स्कूल से हुई है. यहां से 12वीं तक की पढ़ाई के बाद उनका चयन एमबीबीएस के लिए लेडी हार्डिंग कॉलेज, दिल्ली के लिए हुआ. इसके बाद वह दिल्ली स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसस से एमडी ओ एंड जी की पढ़ाई पूरी की. डॉ. मनीषा अपनी मां डॉ. नर्गिस पॉल को अपना आदर्श व प्रेरणा स्रोत मानती हैं. देश के टॉप 10 स्त्री रोग विशेषज्ञ में शामिल हैं डाॅ मनीषा
डॉ मनीषा की मां बोकारो की जानी-मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ नर्गिस पॉल (संतपॉल हेल्थवेज) हैं. डॉ नर्गिस बताती है कि बचपन से ही डॉ मनीषा कुशाग्र बुद्धि की रही है. डॉक्टर बनने का सपना वह बचपन से देखती थी. वर्तमान में डॉ मनीषा की पहचान देश के टॉप 10 स्त्री रोग विशेषज्ञ में होती है. पिता विजश्री सीएच मधई ने बताया कि सफलता के लिए लगनशीलता जरूरी होती है. यही मनीषा की खूबी है. डॉ मनीषा ने बोकारो समेत देश का नाम रोशन किया है. डॉ मनीषा के पति डॉ सबन होरो सीएमसी वेल्लोर में ही वरीय चिकित्सक हैं.

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