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वेज में पैकेज नहीं परसेंटेज चाहते हैं कोयला मजदूर

बेरमो : करीब सवा तीन लाख कोलकर्मियों के वेतन व अन्य सुविधाओं के लिए गठित राष्ट्रीय कोयला वेतनमान समझौता-10 को लेकर सरगर्मी तेज है. जेबीसीसीआइ की केरल में हुई दूसरी बैठक में वेज एवं भत्तों के लिए गठित उप समिति की पहली बैठक चार-पांच फरवरी को दिल्ली में हुई. अब इस सब कमेटी की दूसरी […]

बेरमो : करीब सवा तीन लाख कोलकर्मियों के वेतन व अन्य सुविधाओं के लिए गठित राष्ट्रीय कोयला वेतनमान समझौता-10 को लेकर सरगर्मी तेज है. जेबीसीसीआइ की केरल में हुई दूसरी बैठक में वेज एवं भत्तों के लिए गठित उप समिति की पहली बैठक चार-पांच फरवरी को दिल्ली में हुई.

अब इस सब कमेटी की दूसरी बैठक 28 फरवरी व एक मार्च को दिल्ली में होगी. चार-पांच फरवरी को हुई बैठक में प्रबंधन ने कोलकमियों के वेज को लेकर तीन हजार करोड़ रुपये देने की बात कही है. इसे मजदूर संगठनों ने खारिज करते हुए इसका डिटेल रिपोर्ट मांगी है. कहा कि तीन हजार करोड़ रुपया कोल इंडिया किस तरह कोलकर्मियों के बीच बांटेगा,

प्रबंधन पहले इसका खुलासा करे. मजदूर नेताओं ने कहा कि प्रबंधन पैकेज के बजाय प्रतिशत बताये कि किस मद में कितनी फीसदी बढ़ोतरी मजदूरों को मिलेगी. मालूम हो कि नौवां वेतन समझौता में प्रबंधन ने कोलकर्मियों के वेज बढ़ोतरी के मद में सालाना 26 हजार करोड़ रुपये दिया था. इस बार तीन हजार करोड़ रुपये का ऑफर दिया है. इस पर गौर किया जाये तो कंपनी इस बार मात्र 14 फीसदी वेज बढ़ोतरी का संकेत दे रही है. ऐसे में संभव है चारों मजदूर संगठन एटक, बीएमएस, एचएमएस व सीटू सरकार व कोल इंडिया प्रबंधन के खिलाफ अप्रैल माह में आंदोलन का शंखनाद करे. दूसरी ओर हर तरफ से मार खायी इंटक की भी पैनी नजर वेतन समझौते पर है. इस बार बगैर इंटक के वेतन समझौता में कोलकर्मियों को नौवां वेतन समझौता से बेहतर वेतन बढ़ोतरी नहीं मिली तो इंटक भी सरकार व प्रबंधन के खिलाफ अपनी आवाज मुखर करेगी.

तीन हजार करोड़ रुपये देने से कोलकर्मियों के वेज में होगी मात्र 14 फीसदी की वृद्धि
नौवें वेतन समझौता में मिली थी 29.6 फीसदी की बढ़ोतरी
नौवां वेतन समझौता में कोलकर्मियों को पुराना व नया बेसिक मिला कर कंपनी ने कुल 29.6 फीसदी की बढ़ोतरी दी थी. केटेगरी वन के मजदूरों का वेतन (14,052.34 रुपया) में 25 फीसदी बढ़ा था. लगभग 3519 रुपया. वहीं नये बेसिक 15,712. 62 रुपया में चार फीसदी का विशेष भत्ता लिया गया था. दोनों को मिलाकर कुल 29.6 फीसदी वेज बढ़ोतरी हुआ था. कुल मिला कर 4142 रुपये का लाभ मिला था. अभी केटेगरी वन के मजदूरों का मासिक वेतन न्यूनतम 25 हजार रुपया लगभग है. अगर इसमें 25 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी इस बार होती है तो साढ़े सात हजार रुपये तक का फायदा होगा. कोल इंडिया ने इस बार वेज व भत्तों को मिलाकर तीन हजार करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया है, उसमें पेंशन फंड की राशि भी शामिल है.
प्रबंधन बता रहा दयनीय स्थिति
कोल इंडिया प्रबंधन मजदूर संगठनों के समक्ष कोल सेक्टर की दयनीय स्थिति का रोना रो रहा है. प्रबंधन का कहना है कि कोल मार्केट नहीं है. विदेशों से कोयला आयात करना पड़ रहा है. हमें अपने कोयला के ग्रेड को डीग्रेड करना पड़ रहा है. ऐसे में कंपनी मजदूरों के वेज में बड़ी राशि देने में असमर्थ है. एटक नेता रमेंद्र कुमार व लखनलाल महतो कहते हैं कि इस वर्ष कोल इंडिया का मुनाफा बढ़ा है तथा कंपनी ने सरकार को करीब 55 हजार करोड़ रुपये टैक्स दिया है. इसलिए मजदूरों का वेज भी बढ़ना चाहिए. फिलहाल कोल इंडिया के डीपी आरमोहन दास मई माह में तथा कोल इंडिया के चेयरमैन एस भ˜ट्टाचार्य सितंबर माह में रिटायर कर रहे हैं. इसलिए ट्रेड यूनियन नेता भी चाहते हैं कि इन दोनों के कार्यकाल में ही वेजबोर्ड-10 का समझौता कर लिया जाये.
ऐसे समझें तीन हजार करोड़ रुपये का हिसाब
30 जून 2016 को नौवां वेतन समझौता की अवधि खत्म हो गयी है. एक जुलाई 2017 से वेतन कितना होगा, यह मजदूर जानना चाहता है. कंपनी ने वेजबोर्ड 10 में तीन हजार करोड़ रुपये का ऑफर दिया है. इसी राशि में सात फीसदी राशि पेंशन की भी समाहित रहेगी. फिलहाल पेंशन पर 14 फीसदी राशि दिये जाने पर सहमति बनी है. इसमें सात फीसदी कंपनी को तथा सात फीसदी मजदूरों को देना है. यह राशि करीब 650 करोड़ रुपये होगी. तीन हजार करोड़ में एक हजार करोड़ पर 33 फीसदी कंपनी को बचत होगी, यानि कंपनी को कुल 99 फीसदी के हिसाब से एक हजार करोड़ रुपये की बचत होगी. (एक हजार करोड़ पर 33 फीसदी सरकार को टैक्स देना पड़ता है). इसके अलावा जैसे ही मजदूरों के वेतन का स्लैब बढ़ेगा, मजदूरों को टैक्स के मद में करीब 400 करोड़ रुपये सरकार को देना होगा. यानि तीन हजार करोड़ की यह राशि घट कर 15-16 सौ करोड़ पर आ जायेगी.

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