बोकारो: कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस को कई तरह के अभियान चलाने पड़ते हैं. पर सवाल यह उठता है कि यह अभियान किसके लिए चलाये जाते हैं, जनता के हित में या जनता को परेशान करने के लिए.
शहर के विभिन्न चौक -चौराहों पर इसी तरह वाहन जांच अभियान चलाया जा रहा है. ट्रैफिक नियम के उल्लंघन पर फाइन करना वाजिब है. पुलिस अभियान के नाम पर लोगों को परेशान कर रही है. ऑन स्पॉट फाइन न लेकर थाने में गाड़ियां लगायी जा रही है. वहां भी फाइन नहीं लिया जा रहा है.
कभी पुलिस डीएसपी साहब के नहीं रहने का बहाना करती है, तो कभी कुछ और. पुलिस से अगर कानून की बात किसी आम आदमी ने कर ली तो उसकी खैर नहीं. उसकी दिक्कत कितनी बढ़ेगी वही आदमी जानता है. फिर लगाते रहें थाने के चक्कर.
जेब में पैसे होने के बावजूद नहीं छोड़े जा रहे वाहन
बुधवार को चास थाना पुलिस ने बड़े पैमाने पर वाहन जांच अभियान चलाया. इस दौरान दर्जनों वाहन पकड़े गये. कई वाहन मालिक ऑन स्पॉट जुर्माना देने को तैयार थे. फिर भी जबरन उनकी बाइक को थाना ले जाया गया. किसी की जल्दबाजी और किसी की जरूरत का ख्याल नहीं रखा गया. जबकि पब्लिक कुड़मी समाज के जाम से पहले से ही परेशान थी. और किसी तरह अपने मंजिल तक पहुंचने की कोशिश कर रही थी.
बाइक सवार ही हैं निशाने पर
सभी वाहनों पर एक ही तरह का आरोप लगा. अगर हेलमेट लगा कर भी चल रहे हैं तो आपको हेलमेट का जुर्माना भरना ही होगा. ज्यादा बात की तो ट्रिपल लोड का भी जुर्माना भी देना होगा. वो भी चालान थाना लाकर ही काटा जायेगा. जब्त किये गये सभी वाहनों के चलान पर बिना हेलमेट व कागजात के वाहन चलाने का आरोप दर्ज किया गया. कई वाहन मालिकों ने अपनी बाइक के कागजात व हेलमेट दिखाया, पर फायदा कुछ नहीं. ऊपर से दिन भर की परेशानी तय हो गयी. चक्कर काटने के बाद पुलिस बताती है कि ट्रैफिक डीएसपी जुर्माना करेंगे.
क्या करें डीएसपी हैं छुट्टी पर
वाहन मालिक ट्रैफिक डीएसपी को खोजते नया मोड़ स्थित ट्रैफिक कार्यालय आये तो पता चला कि साहब बाहर चले गये हैं. तीन दिन बाद आयेंगे. इसके बाद ही जुर्माना वसूलने व वाहन छोड़ने की कार्रवाई होगी. हिम्मत कर किसी ने अगर ट्रैफिक पुलिस के प्रभारी अनिल कुमार मिश्र को जुर्माना लेने का आग्रह किया, तो हमेशा की तरह उसे डांट ही मिली. श्री मिश्र ने साफ कहा डीएसपी ही पैसा लेंगे. हम कुछ नहीं कर सकते हैं. जान आफत में पड़ने के बाद जिले के नये एसपी के पास पैरवी पहुंची. किसी ने दुखड़ा सुनाया. पर परेशानी कम नहीं हुई.
टाइगर की मेहरबानी पर सब फिट
कुछ लोगों ने जान बचाने के लिए वहां मौजूद टाइगर पुलिस की शरण में जाना समझदारी समझा. कोने में जाकर सेटिंग हो गयी, तो ठीक वरना.. फिर भी 200-500 ऐसी परेशानी से बचने के लिए क्या कम थे. वो भी रसीद नहीं लेने की शर्त पर. सौदा भी सस्ता था रसीद के साथ 1000-2000 देने से तो अच्छा था. पर, वाहन छूटने के बाद भी आम लोगों में इस सिस्टम के प्रति काफी आक्रोश दिखा.
वाहन जांच में फंसने से अच्छा लोग हेलमेट पहन कर चलें और ट्रैफिक नियमों का पालन करें. ट्रैफिक डीएसपी की अनुपस्थिति में ट्रैफिक प्रभारी को जुर्माना वसूलना है. जुर्माना देने वाले लोगों को भी अगर पुलिस परेशान करेगी तो ऐसे पुलिस अधिकारियों पर जरूर कार्रवाई होगी.
जितेंद्र सिंह, एसपी, बोकारो
मेरी गैर हाजिरी में ट्रैफिक दारोगा अपने चालान पर जुर्माना वसूल कर वाहन को छोड़ने का काम करेंगे. ट्रैफिक नियम तोड़ने वाले लोगों पर पुलिस नियम के तहत कार्रवाई करती है.
रविंद्र कुमार सिंह, डीएसपी, यातायात पुलिस.
डीएसपी के नाम पर काटा गया चलान वसूलने का अधिकार डीएसपी रैंक के अधिकारी को ही है. मैं किसी भी सूरत में डीएसपी का स्थान नहीं ले सकता. कानूनी दायरे में रहते हुए मुङो जो करना चाहिए वह करता हूं.
अनिल कुमार मिश्र, प्रभारी यातायात पुलिस.