13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आतंक के खात्मे के लिए आगे आयें बुद्धिजीवी

बोकारो: आतंकवाद विश्व व्यापी समस्या हो गयी है. इसका खात्मा जरूरी है. गोली व बंदूक के बल पर आतंक का सफाया थोड़ा मुश्किल लगता है. आतंकवाद के सफाया के लिए बुद्धिजीवी वर्ग को आगे आना होगा. यह बात साहित्यकार नरेंद्र कुमार राय ने कही. रविवार देर शाम सेक्टर तीन स्थित सशिविमं में अखिल भारतीय साहित्य […]

बोकारो: आतंकवाद विश्व व्यापी समस्या हो गयी है. इसका खात्मा जरूरी है. गोली व बंदूक के बल पर आतंक का सफाया थोड़ा मुश्किल लगता है. आतंकवाद के सफाया के लिए बुद्धिजीवी वर्ग को आगे आना होगा. यह बात साहित्यकार नरेंद्र कुमार राय ने कही. रविवार देर शाम सेक्टर तीन स्थित सशिविमं में अखिल भारतीय साहित्य परिषद की ओर से संगोष्ठी की गयी. आतंकवाद की समाप्ति में बुद्धिजीवी की भूमिका विषयक गोष्ठी को श्री राय बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे.
श्री राय ने कहा : लोगों को धर्म के नाम पर भड़काया जा रहा है. कहीं जिहाद के नाम पर, तो कहीं सीमा के नाम पर लोगों को आतंकवाद की ओर ढकेला जा रहा है. आतंकवाद ने एक चक्र का रूप धारण कर लिया है. इस चक्र को तोड़ने के लिए बुद्धिजीवी वर्ग को आगे आना होगा. लोगों के भटकाव को रोकने के लिए बुद्धिजीवी वर्ग को ही जागरूकता फैलानी होगी. संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ पीएल वर्णवाल ने की. बोकारो व आस-पास के दर्जनों साहित्यकार व बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया.
किसने क्या कहा
डॉ आरके गौतम : आतंकवाद को परिभाषित करने की जरूरत है. बुद्धिजीवी वर्ग क्षेत्र के अनुसार आतंकवाद को परिभाषित करते हैं. इस कारण कभी-कभी अच्छा आतंकवाद व बुरा आतंकवाद की बहस होती है. इससे काम नहीं चलने वाला. लोगों की मानसिकता बदलनी होगी.
एसएस यादव : कहीं ना कहीं आतंकवाद का कारण आर्थिक विषमता है. समाज को विकसित करना होगा. धर्म की जंजीर ने निकल कर देश के बारे में सोचना होगा. जेहाद के नाम पर भटक रहे लोगों को रोकने के लिए बुद्धिीवी को आगे आना होगा.
डॉ केएसएस कन्हैया : आतंकवाद कमजोर को दबाने का जरिया है. जानवर भी खाना के लिए छोटे व कम ताकतवर जानवर का शिकार करते हैं. आतंकवाद भी कुछ ऐसा ही है. आतंक समाप्त करने के लिए जनमानस को बदलने की जरूरत है.
अवधेश कुमार चौधरी : कुछ लोग टीवी चैनल पर बैठकर लंबी बहस को अंजाम देते हैं. अपनी अपेक्षित सोच के अनुसार आतंकवाद को परिभाषित करते हैं. इससे समाज का भला नहीं हो सकता है. आतंक को खत्म करने के लिए अपेक्षित सोच से बाहर निकलना होगा.
डॉ सत्यदेव तिवारी : आतंक की खात्मा के लिए अच्छे सोच वाले देश व लोग को एक साथ आना चाहिए. धर्म व सीमा के विवाद से बाहर निकलकर आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी. एकता की ताकत आतंकी संगठन को दिखाना होगा.
डॉ पीएल वर्णवाल : देश के अनुसार आतंक की परिभाषा बदल जाती है. कहीं धर्म के नाम पर, तो कहीं जाति के नाम पर, तो कहीं समाजवाद के नाम पर आतंक आतंक को परिभाषित किया जाता है. इससे आतंक के विरुद्ध लड़ाई करना कठिन हो जाता है.
डॉ परमेश्वर भारती : आतंक चाहे जहां भी हो, उसकी मूल में पेट की आग है. आर्थिक विषमता के कारण आतंक का जन्म होता है. फिर धर्म या समाज के नाम पर बुरी ताकत उसे अपनी ताकत देते हैं. आतंक का नाश करने के लिए जड़ पर प्रहार करना होगा.
डॉ सुबोध : जिस तरह आतंकवाद को परिभाषित करना कठिन है, उसी प्रकार बुद्धिजीवी काे भी परिभाषित करना कठिन है. हाल के दिनों में देखा गया है कथित बुद्धिजीवी एक मानसिकता में अवार्ड वापसी अभियान चलाया था.
मंगेश पाठक : सद्भावना की राह को मजबूत करना होगा. हर किसी को अपना समझना होगा. धर्म व सीमा की लड़ाई से बाहर आने की जरूरत है. भारत शांति प्रिय देश है. शांति से ही आतंकवाद जैसे जटिल मुद्दों को खत्म किया जा सकता है.
मृत्युंजय सहाय : शांति से हर समस्या का समाधान हो सकता है. क्रोध का जवाब क्रोध कभी नहीं हो सकता है. अशिक्षा, स्वार्थ व अन्य मकड़जाल में फंस कर युवा आतंक की राह चुन रहे हैं. समाज को जागरूक करना होगा. पीसी पाठक, आरके वर्मा, डॉ आरएन सिंह, सरिता सिन्हा समेत कई ने संबोधित किया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें