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सीएस के सामने बौना साबित हो रहा है डीसी का आदेश

बोकारो: जिला स्वास्थ्य विभाग में इन दिनों कई तरह की गड़बड़ियों की चर्चा है. सवाल सिविल सजर्न डॉ एसबीपी सिंह पर उठ रहे हैं. केस स्टडी बताते हैं कि सीएस के सामने डीसी के आदेश भी बौने साबित हो रहे हैं. जिला खाद्य अपमिश्रण निगरानी टीम के नोडल एसीएमओ होते हैं. पर, बोकारो में इस […]

बोकारो: जिला स्वास्थ्य विभाग में इन दिनों कई तरह की गड़बड़ियों की चर्चा है. सवाल सिविल सजर्न डॉ एसबीपी सिंह पर उठ रहे हैं. केस स्टडी बताते हैं कि सीएस के सामने डीसी के आदेश भी बौने साबित हो रहे हैं.

जिला खाद्य अपमिश्रण निगरानी टीम के नोडल एसीएमओ होते हैं. पर, बोकारो में इस विभाग पर भी टोटल कंट्रोल सीएस का ही है. बोकारो में आये महज 58 दिनों हुए हैं, पर उन्होंने सुर्खियां खूब बटोरी. इससे पहले भी श्री सिंह बोकारो में सीएस का प्रभार संभाल चुके हैं. उस वक्त उनके होटल, रेस्तरां, अल्ट्रा साउंड जांच घर, पैथोलॉजी सेंटर में छापेमारी की बात काफी चर्चे में आयी थी. पर हुआ कुछ नहीं कई डायगAोसिस छापे के बाद पिछले दरवाजे से चल रहे हैं. उदाहरण के तौर पर चास के कुमार डायगAोसिस सेंटर देखा जा सकता है.

केस स्टडी एक
जिला खाद्य अपमिश्रण निगरानी विभाग की टीम में माडा के कर्मचारी अरविंद कुमार को सीएस डॉ एसबीपी सिंह ने जोड़ रखा है. जबकि प्रोटोकॉल के आधार पर माडा कर्मचारी को इस कमेटी में शामिल नहीं करना है. इसकी शिकायत मिलने पर डीसी उमाशंकर सिंह ने सीएस को समिति से अरविंद कुमार को जल्द हटाने को कहा था. पर आदेश बेअसर. श्री कुमार अब भी टीम में हैं.

केस स्टडी दो
जिले में कोल्ड चेन हेंडलर व रेफ्रीजरेटर मैकेनिक पदों पर एक-एक बहाली निकाली गयी थी. इन दोनों पदों के लिए फणीभूषण महतो (कोल्डचेन हेंडलर) और संतोष कुमार (रेफ्रीजरेटर मैकेनिक) ने आवेदन भरा. आवेदन के साथ जो अनुभव प्रमाण दिया गया है, वो एसबीपी सिंह के द्वारा ही निर्गत की गयी है. अनुभव प्रमाण पत्र पर तब की तारीख का उल्लेख है जब वो खुद निरसा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धनबाद प्रभारी थे. अनुभव प्रमाण पत्र पर मेमो या किसी भी तरह के किसी नंबर का उल्लेख ही नहीं है. आरोप है कि श्री सिंह ने बैकडेट से खुद के पैड पर ऐसा किया है. बगैर मेमो नंबर के अनुभव प्रमाण पत्र होने के बावजूद नौकरी मिल जाती है. मामले की शिकायत डीसी के पास आयी है, तो डीसी ने जांच में आदेश दिये हैं. फिलहाल दोनों अपना योगदान दे रहे हैं.

केस स्टडी तीन
क्रय समिति के गठन में सरकारी गाइड लाइन को ताक पर रखने की बात है. प्रोटोकॉल के हिसाब से समिति में सीएस, एसीएमओ, जिला लेखा पदाधिकारी, जिला अस्पताल (सदर) से एक पुरुष व एक महिला चिकित्सक होने चाहिए. परंतु सिविल सजर्न ने जिला अस्पताल की जगह अनुमंडल अस्पताल चास से एक पुरुष व राजकीय औषधालय से एक महिला चिकित्सक को समिति में रखा. इस सवाल पर सीएस कहते हैं कि सदर अस्पताल में पुरुष चिकित्सक या फिर महिला चिकित्सक नहीं हैं, इसलिए अनुमंडल अस्पताल से चिकित्सकों को लाया गया. पर, बताते चलें कि सदर अस्पताल में चार पुरुष और तीन महिला चिकित्सक मौजूद हैं.

केस स्टडी चार
जिले में चार सरकारी चिकित्सक डॉ जितेंद्र कुमार, डॉ चंचला, डॉ पंकज व एक अन्य का स्थानांतरण अन्य जिलों में कर दिया गया है. इसके बाद भी ये चिकित्सक जिले में ही जमे हुए हैं. काफी विवाद के बाद भी सिविल सजर्न ने अभी तक इन्हें विरमित ही नहीं किया है. इनमें से डॉ जितेंद्र गोमिया में सरकारी नौकरी के बजाय एक निजी अस्पताल भी चला रहे हैं. सरकारी अस्पताल के बजाय दिन भर उन्हें अपने प्राइवेट नर्सिग होम में देखा जाता है. सरकारी अस्पतालों में आये मरीज का इलाज भी प्राइवेट नर्सिग होम में होता है.

कहते हैं सिविल सजर्न
फूड सेफ्टी टीम बनाने का अधिकार सीएस व एसीएमओ दोनों को है. माडा के अरविंद टीम में काम कर रहे हैं. डीसी ने कभी हटाने की बात नहीं कही. कोल्ड चेन हेंडलर व रेफ्रीजरेटर मैकेनिक मामले में जारी अनुभव प्रमाण पत्र सही है. मेमो नंबर के बिना भी यह वैलिड है. क्रय समिति टीम में सब कुछ सही है. जिला (सदर) अस्पताल में कोई फिजिशियन व स्त्री रोग विशेषज्ञ (एसटी) चिकित्सक ही नहीं है. इसलिए मैंने फिजिशियन के तौर पर डॉ एके सिंह (चास अनुमंडल अस्पताल) को रखा और स्त्री रोग विशेषज्ञ (राजकीय औषधालय) के तौर पर डॉ सेलीना टुडू को शामिल किया है. जहां तक स्थानांतरित चिकित्सकों का सवाल है, तो सभी को विरमित कर दिया गया है. अभी जिले में चार स्थानांतरित चिकित्सक रूके हुए हैं. वे प्रभार सौंप कर जायेंगे.

डॉ एसबीपी सिंह, सिविल सजर्न, बोकारो

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