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इंश्योरेंस कंपनी को 2.95 लाख हरजाने का आदेश

बोकारो: जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष गौतम महापात्र ने एक मामले की सुनवाई करते हुए आइसीआइसीआइ लोंबार्ड जेनरल इंश्योरेंस कंपनी को दो लाख 95 हजार 500 रुपये भुगतान करने का आदेश दिया है. कंपनी को उक्त राशि का नौ प्रतिशत सालाना ब्याज भी देना पड़ेगा. ब्याज की राशि 04 जून 2009 से भुगतान की तिथि […]

बोकारो: जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष गौतम महापात्र ने एक मामले की सुनवाई करते हुए आइसीआइसीआइ लोंबार्ड जेनरल इंश्योरेंस कंपनी को दो लाख 95 हजार 500 रुपये भुगतान करने का आदेश दिया है. कंपनी को उक्त राशि का नौ प्रतिशत सालाना ब्याज भी देना पड़ेगा. ब्याज की राशि 04 जून 2009 से भुगतान की तिथि तक जोड़ी जायेगी. उपभोक्ता फोरम में यह मामला धनबाद जिला के थाना बाघमारा, ग्राम खरखरी निवासी बोलेरो वाहन (जेएच01एम-4964) के मालिक शेख हदीस ने दर्ज कराया था.

शेरघाटी में बोलेरो व बस में हुई थी दुर्घटना : प्रबंधक आइसीआइसीआइ लोंबार्ड जेनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड मुंबई, स्थानीय सेक्टर चार शाखा के शाखा प्रबंधक व रांची कार्यालय के प्रबंधक को द्वितीय पक्ष बनाया गया था. शेख हदीस ने अपने बोलेरो वाहन का इंश्योरेंस आइसीआइसीआइ लोंबार्ड इंश्योरेंस कंपनी के स्थानीय सेक्टर चार शाखा से कराया था. इंश्योरेंस की वैधता अवधि के दौरान 25 अप्रैल 2009 को बोलेरो वाहन धनबाद से छपरा जाने के रास्ते में शेरघाटी थाना क्षेत्र में दुर्घटना का शिकार हो गयी. दुर्घटना में बोलेरो पर सवार पांच लोगों की मौत हो गयी थी. तीन गंभीर रूप से जख्मी हुए थे. सामने से आ रही बस (बीआर26जी-6401) से बोलरो की भिड़ंत हुई थी. घटना की प्राथमिकी शेरघाटी थाना कांड संख्या 109/09 बस चालक पप्पू कुमार को अभियुक्त बनाते हुए दर्ज कराया गया था.

वाहन के व्यावसायिक उपयोग का नहीं मिला साक्ष्य
घटना के बाद बोलरो मालिक ने वाहन मरम्मत के लिए इंश्योरेंस कंपनी के पास अपना दावा प्रस्तुत किया. इंश्योरेंस कंपनी ने यह कहते हुए वाहन मालिक का दावा खारिज कर दिया कि बोलेरो का रजिस्ट्रेशन प्राइवेट कराया गया है, जबकि घटना के समय उसका व्यावसायिक उपयोग हो रहा था. यह भी कहा कि घटना के दौरान बोलेरो ओवरलोड था. दुर्घटना राशि का भुगतान खारिज होने के बाद शेख हदीस ने यह मामला उपभोक्ता फोरम में दर्ज कराया. वाहन मालिक ने फोरम को बताया : दुर्घटना के समय वाहन पर उनके दोस्त के परिवार के सदस्य मौजूद थे. वाहन का व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जा रहा था. फोरम के अध्यक्ष ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया. अध्यक्ष ने अपने आदेश में कहा : इंश्योरेंस कंपनी ने वाहन के व्यावसायिक उपयोग होने से संबंधित कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया.

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