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स्कूल की सबसे तेज छात्रा की आंखों में है दिक्कत, एक अप्रैल से संजू नहीं जायेगी स्कूल

झुमरा से लौट कर जीवेश एक अप्रैल से बंद हो जायेगी संजू की पढ़ाई. राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय, झुमरा की आठवीं कक्षा की संजू पहाड़ से नीचे पढ़ने नहीं जा पायेगी. स्कूल में सबकी प्रिय व पढ़ने में सबसे तेज संजू अब घर में रहेगी. वह ठीक से देख नहीं सकती. बचपन से ही उसे […]

झुमरा से लौट कर जीवेश
एक अप्रैल से बंद हो जायेगी संजू की पढ़ाई. राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय, झुमरा की आठवीं कक्षा की संजू पहाड़ से नीचे पढ़ने नहीं जा पायेगी. स्कूल में सबकी प्रिय व पढ़ने में सबसे तेज संजू अब घर में रहेगी. वह ठीक से देख नहीं सकती. बचपन से ही उसे देखने में दिक्कत होती थी. किताब को आंख से सटाती है, तो दिखता है, वरना नहीं दिखता. इस कारण उसकी मां उसे अकेले पहाड़ से नीचे नहीं भेजना चाहती. डॉक्टर ने उसके इलाज पर 20 हजार रुपये खर्च आने की बात कही है, पर उसकी विधवा मां तानो देवी के पास इतने पैसे नहीं कि वो बेटी का इलाज करा सके. पूछने पर तानो देवी कहती हैं कि बचपन में डॉक्टर ने कहा था कि थोड़ा बड़ी होने पर इलाज होगा.

उसके पिता तिलक महतो उर्फ बरतू महतो को शौक था कि बेटी पढ़े. उन्होंने उसका नाम गांव के स्कूल में लिखा दिया. इसी दौरान 19 अक्तूबर 2010 को नक्सलियों ने उनकी हत्या कर दी. तानो देवी बताती हैं कि गांव में बने पुलिस कैंप के लिए तिलक महतो ने दरवाजा बनाया था. इससे नक्सली खफा थे. उन लोगों ने उसे मुखबीर घोषित कर दिया था. 19 अक्तूबर को वो रात में फसल को जंगली सूअर से बचाने के लिए खेत में सोये थे, इसी दौरान नक्सली उन्हें उठा ले गये. उन लोगों ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया. घर के मुखिया की हत्या के बाद घर की माली हालत खराब हो गयी. आठ बच्चों (पांच बहन व तीन भाई) के परिवार का किसी तरह भरण-पोषण किया.
कहती हैं कि अपने देवर व बेटों के साथ वो कई बार अधिकारियों से मिलीं, पर कोई सहायता नहीं मिली. जब पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश झुमरा आये, तो वह उनसे भी मिलीं. जयराम रमेश ने साथ चल रहे बोकारो के तत्कालीन जिलाधिकारी को भी कहा था कि कागज तैयार करायें, पर कुछ हुआ नहीं. अब बेटी की पढ़ाई रुकने की चिंता उन्हें खाये जा रही है. कहती हैं कि पति की इच्छा थी कि संजू पढ़े, पर अब लगता है कि यह सपना टूट जायेगा. घर ही चलाना मुश्किल है, इलाज के लिए 20 हजार रुपये कहां से लायेंगी.
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बाबू जी होते तो पढ़ती
पढ़ाई व पिता के संबंध में पूछने पर रोने लगती है संजू. कहती है कि अगर पिता जी होते तो उसका इलाज हो जाता. कहती है कि घर ही मुश्किल से चलता है, ऐसे में उसकी मां कैसे उसका इलाज करायेगी. भाई लोगों का भी अपना परिवार है, सब अपने में परेशान हैं. वह कहती है कि पढ़ने की, कुछ बनने की इच्छा है, जो पूरी नहीं हो पायेगी.
कहते हैं शिक्षक
स्कूल के शिक्षक देवचरण महतो कहते हैं कि संजू पढ़ने में काफी तेज है. आठवीं की परीक्षा में भी वह अन्य बच्चों से बेहतर रिजल्ट लायेगी. स्कूल की अन्य गतिविधियों में भी वह हिस्सा लेती है. 15 अगस्त व 26 जनवरी को स्कूल में आयोजित कार्यक्रम का संचालन वही करती है. गाना भी वह अच्छा गाती है. जब वह गाती है तो सब मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. श्री महतो कहते हैं कि अगर उसकी पढ़ाई रुक जायेगी, तो उन्हें भी दुख होगा. क्योंकि अभी तक के उसके रिजल्ट से उन्हें लगता है कि संजू को सुविधा मिली, तो वह जरूर झुमरा का नाम रोशन करेगी.
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(साथ में बेरमो से राकेश वर्मा व गोमिया से नागेश्वर)

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