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बस एक साल की बात है मां..फिर सब ठीक होगा!

बोकारो: चास के अभिमन्यु नगर निवासी वीरेंद्र कुमार चौधरी के 21 वर्षीय पुत्र सुमित ने गत वर्ष नवंबर में मलयेशिया के लिए रवाना होते समय अपनी मां से कहा था, ‘बस एक साल विदेश में नौकरी करने दो मां..फिर सारी परेशानियां दूर हो जायेंगी. फिर मैं यही रहूंगा.’ मां दया देवी कहती हैं : बाबू […]

बोकारो: चास के अभिमन्यु नगर निवासी वीरेंद्र कुमार चौधरी के 21 वर्षीय पुत्र सुमित ने गत वर्ष नवंबर में मलयेशिया के लिए रवाना होते समय अपनी मां से कहा था, ‘बस एक साल विदेश में नौकरी करने दो मां..फिर सारी परेशानियां दूर हो जायेंगी. फिर मैं यही रहूंगा.’ मां दया देवी कहती हैं : बाबू को हम विदेश नहीं जाने देना चाहते थे..उससे कहा भी था कि दो पैसा कम ही कमाओ, लेकिन यहीं रहो; लेकिन वह नहीं माना और चला गया. आंसू पोंछते हुए उन्होंने कहा कि ना जाने किस हाल में होगा. तबीयत खराब रहती थी. पता नहीं खाना भी मिलता है कि नहीं!
पीएचइडी विभाग के कर्मचारी पद से सेवानिवृत्त पिता वीरेंद्र राय कहते हैं: दो बेटियों की शादी हो चुकी है. एक बेटी की शादी करनी है. बड़ा बेटा घर से अलग हो गया है. जीने का एक ही सहारा है सुमित. उसका भी कुछ पता नहीं चल रहा. क्वालालंपुर के किस जेल में है, पता नहीं. उसे पढ़ाने व बाहर भेजने में 12 लाख रुपये लग गये हैं. बहन राखी के चेहरे पर भी भाई के तकलीफों के निशान साफ दिख रहे थे. कहा : भाई के साथ जाने वाले पंजाब के उसके मित्र ने जो बताया है, हमें तो बस उतना ही पता है. सुमित ने चेन्नई के डॉ एमजीआर यूनिवर्सिटी से बीटेक की पढ़ाई की थी.
क्या है मामला
चास का सुमित कुमार नवंबर 2014 में चेन्नई के लीड्स ट्रेनिंग सेंटर के माध्यम से मलयेशिया के निलई गार्डन कंपनी में इंजीनियर के पद पर नौकरी करने गया था, लेकिन उक्त कंपनी में उससे मजदूरों का काम लिया जाता था. परिजनों ने बताया कि उसी कंपनी के लोगों ने उसका पासपोर्ट-वीजा आदि भी रख लिया था. बाद में सुमित ने उस कंपनी को छोड़ मायरेक्स कंपनी ज्वाइन कर ली. इसी दौरान अप्रवासन विभाग ने वहां छापेमारी की और बिना वीजा-पासपोर्ट के उसे गिरफ्तार कर लिया.
आखिरी बार 17 मई को हुई थी बात
मां दया देवी ने कहा कि सुमित हर रविवार को बात करता था. आखिरी बार उसने 17 मई को फोन किया, लेकिन उसके बाद फिर फोन नहीं आया. मलयेशिया से सुमित अपने एक दोस्त के नंबर से कॉल करता था, दो सप्ताह बाद हमने उस नंबर पर कॉल किया, तब पता चला कि सुमित जेल में है.
एजेंट मांग रहा 30 हजार रुपये
पिता बताते है कि चेन्नई के एजेंट स्वामी ने बेटे को छुड़ाने के लिए 30 हजार रुपये की मांग की थी. अब जैसे-तैसे रुपये जुगाड़ भी लिये तो दें किसे, यह समझ नहीं आ रहा. प्रशासन अपनी ओर से कार्रवाई कर रहा है, लेकिन मेरा बेटा कब तक वापस आयेगा, यह कोई नहीं बता पा रहा. बेटे की रिहाई के लिए अबतक मैंने हर अधिकारी व मंत्री का दरवाजा खटखटाया है. धनबाद सांसद से भी बात की थी. उन्होंने इस मामले में विदेश मंत्रालय को लिखा था.

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