इसके लिए आवश्यक है उनमें साक्षरता की दर बढ़ायी जाये और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाया जाये. कार्यशाला में हुए डॉ एसएनपी टंडन और डॉ के एन झा ने कहा कि इसकी शुरुआत हमें सबसे पहले अपने घर से करना होगा.
मां-बाप को बेटा-बेटी में फर्क करना बंद करना होगा. समान शिक्षा, समान लालन पालन और समान अधिकार इन्हें प्रदान करना होगा. लैंगिक भेदभाव जब-तक हम खत्म नहीं करेंगे, उन्हें स्वावलंबी बनाने की दिशा में कारगर कदम नहीं उठायेंगे, तब-तक समाज और राष्ट्र का विकास संभव नहीं है. अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो पीएल वर्णवाल ने कहा कि जब-तक सार्वजनिक जीवन में देश की महिलाओं में शिक्षा और विकास में भागीदारी नहीं बढ़ती है, न तो देश की तरक्की होगी और न ही उनका उद्घार होगा. इस अवसर पर प्रो बीके सिंह, प्रो बीएन मल्लिक, प्रेम कुमार आदि उपस्थित थे.