बोकारोः शिक्षकों की कमी का सामना कर रहे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) ने एक नयी पहल की शुरुआत की है. इस कमी को दूर करने के लिए आइआइटी अगले पांच साल में पीएचडी प्रोग्राम में सीटें बढ़ाने पर जोर दे रही है.
ताकि पीएचडी डिग्रीधारक शिक्षण कार्य में सहयोग कर सकें. पुराने आइआइटी में 41 फीसदी शिक्षकों के पद रिक्त हैं. पुराने आइआइटी में कुल स्वीकृत पद 5356 में से 2198 पद रिक्त पड़े हुए हैं. आइआइटी को उम्मीद है कि आनेवाले पांच वर्षो में शिक्षकों की कमी को दूर कर लिया जायेगा. इसी के मद्देनजर आइआइटी ने पीएचडी करने वाले छात्रों को मिलने वाले आर्थिक लाभ को भी आकर्षक बनाया है. मौजूदा समय में शैक्षणिक जरूरतों को पूरा करने के लिए आइआइटी अस्थायी शिक्षकों को नियुक्त कर काम चला रही है.
पीएचडी धारकों का पूल तैयार होने से अन्य इंजीनियरिंग संस्थानों में भी शिक्षकों की कमी दूर होगी. आइआइटी में पीएचडी कोर्स काफी समय से चल रहा है, लेकिन युवाओं को आकर्षित करने के लिए पाठय़क्रम में बदलाव, शोध में निवेश बढ़ाने पर जोर दिया गया है. यही नहीं इसमें दाखिले के लिए आइआइटी ने योग्यता नियमों को भी सख्त बनाया है, ताकि गुणवत्तापूर्ण उम्मीदवारों को ही दाखिला मिल सके. यही कारण है कि इस साल आवेदन करने वाले छात्रों के अनुपात में चयनित छात्रों की संख्या महज एक फीसदी रही. यही नहीं नये आइआइटी संस्थान भी पीएचडी की सीटों में साल दर साल बढ़ोत्तरी कर रहे हैं. शिक्षकों की कमी का सामना सिर्फ आइआइटी ही नहीं एनआइटी भी कर रहे हैं. पुराने एनआइटी में शिक्षकों के 2808 पद यानी 48 फीसदी पद रिक्त है.