बोकारो: हरी मिर्च आंखें तरेर रही है. टमाटर और लाल हो गया है. भिंडी रानी के नखरे बढ़े हुए हैं. बैंगुन में गुण आ गया है. करैला का स्वाद और भी कसैला हो गया है. कारण आसमान छूती महंगाई. हरी सब्जी की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही है. आलू व प्याज की कीमतों में भी जबरदस्त उछाल आया है. प्याज 32 रुपये तो नैनीताल आलू 12 रुपये व लाल आलू 16 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. आलम यह है कि बाजार में सब्जियां किलो के बजाय पाव में खरीदारी हो रही है.
मांग अधिक और आपूर्ति कम
हरी सब्जी की कीमत में वृद्धि का एकमात्र कारण आवक में कमी व मांग अधिक होना है. बारिश में सब्जी का उत्पादन अपेक्षाकृत कम होता है. इस कारण आपूर्ति कम होती है. सब्जी विक्रेताओं की मानें तो अभी बरसात भर कीमतों में कमी आने का आसार नहीं है. हां, कीमत में और अधिक इजाफा होने की संभावना जरूर है.
सोयाबीन,चना व बेसन मांग बढ़ी
हरी सब्जियों की कीमत में वृद्धि के कारण घर-घर में विकल्प के रूप में सोयाबीन, चना, बेसन आदि की सब्जी बन रही है. इसके कारण उक्त खाद्य पदार्थो की मांग बढ़ गयी है. सेक्टर 2 स्थित राशन दुकानदार भृगुनाथ ने बताया कि इन दिनों सोयाबीन, चना, बेसन आदि की बिक्री बढ़ गयी है.
साहब चिंतित-मेम साहब टेंशन में
सब्जी बाजार पहुंचते ही साहब की चिंता-क्या खरीदें. किचन में घुसते ही मेम साहब को टेंशन-क्या बनायें. सब्जियों की कीमत में बेतहाशा वृद्धि हुई है. स्थिति यह है कि 100 रुपये में एक छोटा झोला भी नहीं भर रहा है. कोई भी हरी सब्जी 20 रुपये प्रति किलो से कम नहीं मिल रही है. कीमत में वृद्धि के कारण थाली से सब्जी गायब होने लगी है.