बोकारो: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर का डीएम बनकर बोकारो डीसी उमाशंकर सिंह से मिलने पहुंचे प्रदीप कुमार श्रीवास्तव व उसके 14 सहयोगियों को डीसी के निर्देश पर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.
डीएम बन कर प्रदीप अपने तीन सहयोगियों के साथ बिजुलिया में रिलायंस कंपनी लगाने के लिए भूमि संबंधी जानकारी लेने की बात कह कर समाहरणालय पहुंचा था. गिरफ्तार लोगों में उत्तर प्रदेश के जिला गाजीपुर, थाना रउजा, विकास कॉलोनी निवासी प्रदीप के अलावा दो बीएसएल कर्मी सेक्टर छह डी, आवास संख्या 1312 निवासी अनंत कुमार (बलास्ट फर्नेस का कर्मचारी) व बीएसएल के ट्रैफिक विभाग में कार्यरत सेक्टर छह सी, आवास संख्या 2123 निवासी गंगा राम मिश्र, रिनपास कांके का एक कर्मचारी विजीस केबी व धनबाद के थाना तोपचांची, कुरमीटांड़ निवासी लोकबाद पंचायत के मुखिया मो मनौव्वर अली भी शामिल हैं.
डीसी की रणनीति काम आयी : जितनी देर आरोपित अपर समाहर्ता से बातचीत प्रदीप बातचीत कर रहा था, इसी दौरान कुशीनगर में पदस्थापित अपने बैच के जिलाधिकारी लोकेश से बात कर डॉ प्रदीप कुमार श्रीवास्तव के संबंध में जानकारी ली. वहां से पता चला कि उनके बैच का कोई प्रदीप नामक आइएएस वहां पदस्थापित नहीं है. उसके बाद बोकारो डीसी ने पुलिस को बुला कर सभी को गिरफ्तार करवाया. पुलिस के आने तक अधिकारियों ने नकली आइएएस अधिकारी को भनक तक नहीं लगने दी कि उनकी पोल खुल चुकी है.
लगातार बदल रहा था अपना पद : पूछताछ के दौरान प्रदीप लगातार अपना पद बदल रहा था. बोकारो डीसी को उसने खुद को कुशीनगर का डीएम बताया. अपर समाहर्ता डॉ संजय को उत्तर प्रदेश के गवर्नर का ओएसडी बताया. पुलिस को उसने खुद को सहारनपुर का एसडीएम बताया. थोड़ी देर बाद अपने बहनोई को आइएएस बताने लगा. सिटी डीएसपी सहदेव साव के आने के साथ अपने को फंसता देख उसका सुर भी बदल गया. वह अपनी गलती स्वीकार करने लगा. वह डीसी से सिर्फ मिलने की बात करने लगा.
नीली बत्ती लगी इनोवा से आया था : अपने को डीएम बताकर समाहरणालय में धौंस दिखाने का प्रयास करने वाला प्रदीप कुमार श्रीवास्तव फ्लैशर वाली नीली बत्ती लगी इनोवा से आया था. इनोवा पर रांची का रजिस्ट्रेशन नंबर जेएच 01 डब्ल्यू 1521 लगा था. पुलिस ने समाहरणालय के बाहर से रांची के रजिस्ट्रेशन वाली स्विफ्ट डिजायर (जेएच 01एआर-7217) भी जब्त किया है.
बिजुलिया में थी ठगी की प्लानिंग : नकली डीएम ठगी को अंजाम देने के लिए पूर्व से ही सक्रिय था. वह बिजुलिया व आसपास के कई ग्रामीणों से रिलायंस का प्लांट लगाने के लिए जमीन लेने की बात कर चुका था. यहां तक कि उसने अपने सहयोगियों के द्वारा अपना प्रचार-प्रसार भी कराया था. ग्रामीणों को बताया गया था कि बोकारो डीसी से बात हुई है. उनसे मिलने के बाद ग्रामीणों के साथ एक बैठक होगी. बैठक में बोकारो डीसी भी रहेंगे. प्रदीप ने अपने साथ आये लोगों को भी झांसा में रखा था. लोगों को उसने खुद को आइएएस बताकर अपनी फर्जी आइडी दिखायी थी. पुलिस ने उसकी आइडी भी जब्त की है.
नाटकीय ढंग से हुई गिरफ्तारी
शनिवार की दोपहर लगभग 1.45 बजे नकली डीएम प्रदीप अपने सहयोगियों के साथ बोकारो डीसी उमाशंकर सिंह के कक्ष में पहुंचा. प्रदीप ने डीसी को बताया कि रिलायंस कंपनी बिजुलिया में अपना प्लांट लगाना चाहती है. इसके लिए जमीन संबंधी बात करनी है. इसके बाद डीसी उमाशंकर सिंह ने प्रदीप से उनका बैच पूछा. प्रदीप ने खुद को 2009 बैच का आइएएस बताया. श्री सिंह खुद 2009 के आइएएस हैं, उन्हें प्रदीप पर शक हुआ. डीसी ने प्रदीप व उसके सहयोगी शमीम अख्तर को भूमि संबंधित मामले के लिए अपर समाहर्ता डॉ संजय से मिलने की बात कही और उन्हें अपने अर्दली से अपर समाहर्ता कक्ष तक भिजवाया. इसी दौरान फोन पर अपर समाहर्ता डॉ संजय से बात कर पूरे मामले की जानकारी दी और प्रदीप को बात में उलझा कर रखने को कहा.