सुनील तिवारी, बोकारो : तीसरी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर) में बोकारो स्टील प्लांट को 65.97 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. सेल बोर्ड की शुक्रवार को हुई बैठक में कंपनी के तीसरी तिमाही के वित्तीय नतीजे घोषित किये गये. इसमें बीएसएल के 65.97 करोड़ के घाटे के साथ ही सेल को 429 करोड़ घाटा हुआ है.
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बीएसएल को 65.97 करोड़ का नुकसान
सुनील तिवारी, बोकारो : तीसरी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर) में बोकारो स्टील प्लांट को 65.97 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. सेल बोर्ड की शुक्रवार को हुई बैठक में कंपनी के तीसरी तिमाही के वित्तीय नतीजे घोषित किये गये. इसमें बीएसएल के 65.97 करोड़ के घाटे के साथ ही सेल को 429 करोड़ घाटा हुआ […]
इससे पहले दूसरी तिमाही में (जुलाई से सितंबर) बीएसएल के 28 करोड़ के घाटे के साथ ही सेल को 342 करोड़ घाटा हुआ था. तीसरी तिमाही में सेल को 429 करोड़ का घाटा हुआ हुआ है. इस कारण, कंपनी का वर्तमान वित्त वर्ष के पहले नौ महीने में उसके घाटे का आंकड़ा 703.62 करोड़ में पहुंच गया है.
रेलपांत का उत्पादन बढ़ने से बीएसपी को बड़ी राहत मिली है. दूसरी तिमाही के बाद तीसरी तिमाही में भी बीएसपी प्रॉफिट में रही. हालांकि, दूसरी तिमाही (860 करोड़) के मुकाबले इस तिमाही में उसका प्रॉफिट (712.99 करोड़) भी कम हुआ है.
तीसरी तिमाही में बड़ा झटका लगा : बीएसपी के अलावा बीएसएल सहित सेल के बाकी प्लांट घाटे में रहे. इस प्रमुख वजह बतायी गयी, उनके मार्केट बेस्ड प्रॉडक्ट. फिलहाल, खुले बाजार में स्टील उत्पाद की डिमांड कम है. थोड़ा बहुत जो कारोबार हो भी रहा है, तो उसमें विदेशी प्रोडक्ट का कब्जा है. कारण, उनके दाम काफी कम होते हैं. इस वजह से पिछली बार बेहतर प्रदर्शन करने वाले बीएसएपी, राउरकेला और बोकारो जैसे प्लांट को भी तीसरी तिमाही में बड़ा झटका लगा है.
अंतिम तिमाही में बेहतरी की उम्मीद : आम बजट में आधारभूत संरचना पर जोर देने के कारण बीएसएल को अंतिम तिमाही (जनवरी से मार्च) में बेहतर करने की उम्मीद है. उधर, बीएसपी के और भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है, क्योंकि उसे पहली बार 10 लाख टन से अधिक रेलपांत भेजने का रिकार्ड दिसंबर में दर्ज कर चुका है. रेलवे की डिमांड साढ़े 13 लाख है. बीएसपी प्रबंधन की कोशिश उस आंकड़े तक पहुंचने की है. यदि ऐसा हुआ तो अंतिम तिमाही में सेल के भी प्रॉफिट में आने की उम्मीद है.
दूसरी तिमाही में (जुलाई से सितंबर) बीएसएल को हुआ था 28 करोड़ का घाटा
स्टील इंडस्ट्री को बड़ा ऑर्डर देने का रास्ता
आम बजट में सरकार ने 100 लाख करोड़ का इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाने की घोषणा की है. साथ ही नयी रेल लाइन, विद्युतीकरण, छह हजार किलोमीटर लंबे 12 हाइवे के विकास कार्य, पीपीपी मॉडल से रेलवे स्टेशनों का विकास, 2024 तक 100 नये एयरपोर्ट आदि की घोषणाओं से स्टील इंडस्ट्री को बड़ा ऑर्डर देने का रास्ता खोल दिया है. इंफ्रास्ट्रक्चर के कार्य को पूरा करने के लिए घरेलू प्रोडक्ट की भी मांग को पूरा करने का मौका बीएसएल सहित सेल इकाइयों के पास है.
विदेशी स्टील की खपत का रास्ता बंद
नयी इस्पात नीति के तहत सरकारी प्रोजेक्ट में देश में निर्मित इस्पात का ही इस्तेमाल करना अनिवार्य है. इससे विदेशी स्टील की खपत का रास्ता बंद है. देश के बड़े इस्पात उत्पादकों में सेल भी शामिल है. इसकी सबसे बड़ी इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र है, जहां छोटे से लेकर बड़े प्रोडक्ट तैयार किये जाते हैं. बीएसपी के अलावा सेल की इकाइयों राउरकेला, दुर्गापुर, बोकारो, इस्को बर्नपुर, सेलम, विश्वेश्वरैया, अलॉय स्टील प्लांट के लिए भी ऑर्डर की कमी नहीं होगी.
स्टील सेक्टर को सीधे तौर पर फायदा
बजट में जिस तरह से इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर घोषणा हुई है, उससे जाहिर है कि स्टील सेक्टर को सीधे तौर पर फायदा होने वाला है. बगैर इसके निर्माण कार्य संभव नहीं है. बजट की घोषणाओं में नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के अलावा कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जो बगैर स्टील संभव नहीं है. रेल लाइन किनारे की खाली जमीन पर सोलर पैनल लगाने को भी मंजूरी सरकार ने दे दी है. इसके लिए जल्द ही प्रक्रिया शुरू की जायेगी. बगैर स्टील स्ट्रक्चर से इसे पूरा करना संभव नहीं है.
निर्माण के लिए स्टील की जरूरत होगी
2500 किलोमीटर के हाइवे के कंस्ट्रक्शन का भी जिक्र बजट में किया गया है. इसके अलावा तटीय क्षेत्रों में दो हजार किलोमीटर की सड़क, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के लिए भारी मात्रा में स्टील की मांग होगी. साथ ही डीम्ड यूनिवर्सिटी, पांच ऐतिहासिक पर्यटकों को विकसित करना, रांची में ट्राइबल म्यूजियम के निर्माण के लिए भी स्टील की जरूरत होगी. नेशनल गैस ग्रीड की घोषणा से भी स्टील उद्योग को खुश होने का पूरा मौका मिल रहा है.
चौथी तिमाही में बेहतर निष्पादन की उम्मीद
तीसरी तिमाही में सभी प्रमुख इस्पात उत्पादकों का वित्तीय निष्पादन प्रभावित हुआ. कंपनी लागत घटाने से लेकर मुनाफा बढ़ाने पर अधिक फोकस करते हुए अपने उत्पादों की सूची में और नये उत्पाद जोड़ रही है.
तीसरी तिमाही के दौरान कड़ी बाजार प्रतिस्पर्धा के बीच इस्पात की कीमतों में गिरावट रही. हाल ही में लागत में कमी लाने के लिए किये गये प्रयासों के साथ-साथ बाजार दशाओं में सुधार के चलते हम चौथी तिमाही में बेहतर निष्पादन की उम्मीद कर रहे हैं. आम बजट इस्पात उद्योग के लिए आशाजनक व संभावनाओं से भरा हुआ है.
अनिल कुमार चौधरी, अध्यक्ष – सेल
तीसरी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर)
प्लांट प्राफिट/लॉस
बीएसपी +712.99
दुर्गापुर -77.88
राउरकेला -205.40
बोकारो -65.97
इस्को -152.25
अलाय स्टील -22.48
सलेम स्टील -57.58
विश्वेसरैया -19.71
अन्य 146.25
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