– कसमार के मंजूरा में दशकों से हो रही है यह अनूठी प्रतियोगिता
– सटीक निशाना लगाने वाले को उपहार में मिलता है खेत
दीपक सवाल, कसमार
कसमार प्रखंड के मंजूरा गांव में मकर संक्रांति के अवसर पर एक अनूठी तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन होता है. इसमें विजेता को एक वर्ष के लिए के लिए करीब एक एकड़ जमीन खेती के लिए उपहार में दी जाती है. दशकों से चली आ रही यह परंपरा ‘बेझा बिंधा’ के नाम से जानी जाती है. इस वर्ष यह प्रतियोगिता 15 जनवरी को आयोजित होगी.
जानकारी के अनुसार, मंजूरा निवासी स्वर्गीय रीतवरण महतो के द्वारा करीब सौ साल पहले इस अनूठी परंपरा की शुरुआत की गयी थी. तब से प्रत्येक वर्ष काफी उत्साह-उमंग के साथ यह प्रतियोगिता आयोजित होती आ रही है. इस प्रतिभागियों के तहत निशाना साधने के लिए खेत के बीचों-बीच केला का एक थंब गाड़ा जाता है. उसके करीब सौ कदम की दूरी से प्रतिभागी अपने तीर-धनुष से उस पर निशाना साधते है.
केला के थंब पर सबसे पहले निशाना लगाने वाला विजेता होता है और उपहार में वह जमीन (खेत) उसकी हो जाती है. इसके परंपरा के अनुसार, प्रतियोगिता शुरू होने से पूर्व स्वर्गीय रीतवरण महतो के वंशज एवं ग्रामीण मंजूरा स्थित गेंदखेला नामक स्थान पर पूर्वजों द्वारा सूती-धागा से बनाये गये गेंद को खेलकर प्रतियोगिता स्थल पहुंचते हैं. गांव का ‘नाया’ पहला तीर मारकर प्रतियोगिता की शुरुआत करते हैं. इसके बाद गांव के ‘महतो’ के वंशज तीर चलाते हैं. फिर जाकर प्रतिभागियों के बीच विधिवत प्रतियोगिता शुरू होती है. इसमें केला के थंब लाने एवं गाड़ने की जिम्मेवारी गांव के ‘गौड़ायत’ की होती है.
इस प्रतियोगिता में हर वर्ष दर्जनों प्रतिभागी बड़े उत्साह के साथ भाग लेते हैं. कई प्रतिभागी बतौर विजेता हैट्रिक मार चुके हैं. ग्रामीणों द्वारा विजेता को कंधे पर उठाकर घुमाया जाता है. इस वर्ष भी इस अनूठी प्रतियोगिता को लेकर ग्रामीण उत्साहित हैं और इसकी तैयारी में जुटे हैं.