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नोटबंदी के दो साल ! नकदी संकट खत्म, संताप बरकरार
बोकारो : 08 नवंबर 2016 की रात्रि प्रधानमंत्री ने 1000 व 500 रुपया के पुराने नोट को अवैधानिक घोषित कर दिया था. आर्थिक सुधार के लिए सत्ता पक्ष ने फैसला को अच्छा बताया, जबकि विपक्ष ने फैसला को अदूरदर्शी बताया. नोटबंदी हुए दो साल बीत गये. बावजूद नोटबंदी हर किसी के जेहन में है. सत्ता-विपक्ष […]
बोकारो : 08 नवंबर 2016 की रात्रि प्रधानमंत्री ने 1000 व 500 रुपया के पुराने नोट को अवैधानिक घोषित कर दिया था. आर्थिक सुधार के लिए सत्ता पक्ष ने फैसला को अच्छा बताया, जबकि विपक्ष ने फैसला को अदूरदर्शी बताया. नोटबंदी हुए दो साल बीत गये. बावजूद नोटबंदी हर किसी के जेहन में है. सत्ता-विपक्ष के इतर इसका बोकारो पर क्या असर हुआ, कुछ सुधार हुआ या नहीं, फैसला मंजिल तक पहुंची या नहीं. इस विषय पर शुक्रवार को प्रभात खबर ने संबंधित विभाग से जानकारी एकत्र की.
नोटबंदी के बाद सबसे ज्यादा असर व्यावसायिक गतिविधि पर माना गया. खास कर लघु व मंझौले व्यवसाय को लेकर अनेक शंका जाहिर की गयी. नोटबंदी के बाद इस सेक्टर में बोकारो में उछाल देखा गया. वित्तीय वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही व चालू वित्तीय वर्ष के दूसरी तिमाही का तुलनात्मक आंकड़ा तो यही बता रहा है. 2017-18 की पहली तिमाही में 3395 लोगों को इस सेक्टर में लोन दिया गया था, जबकि चालू वित्तीय वर्ष (2018-19) की पहली तिमाही में 4036 लोगों को इसका फायदा मिला.
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम का आंकड़ा नोटबंदी की सार्थकता की ओर इशारा कर रहा है. 2015-16 में 81 लोगों को स्वरोजगार के लिए 550 लाख, 2016-17 में 91 लोग को 597 लाख का लोन मिला था. वहीं 2017-18 के प्रथम तिमाही में चार लोग को 19 लाख का लोन मिला था. जबकि चालू वित्तीय वर्ष के प्रथम तिमाही में 16 लोग को 115 लाख का कर्ज मिला. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की माने तो प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना के तहत 1041 नये लोग इस वित्तीय वर्ष (31 अक्तूबर 2018 तक) पीएफ का लाभ लेना शुरू किये हैं.
कुछ ज्यादा ही कैशलेस, एटीएम भी कैश को तरसा
नोटबंदी के बाद कैशलेस शब्द आर्थिक मोरचा पर सरकार का हथियार बना. कैशलेस इकनाॅमी को बढ़ावा देने के लिए कई योजना, कई वॉलेट सामने आया. बोकारो में कैशलेस इकनाॅमी में 350 प्रतिशत से अधिक का उछाल आया. लोग प्लास्टिक मनी का प्रयोग ज्यादा करने लगे. लेकिन, बोकारो कुछ ज्यादा ही कैशलेस हो गया! मतलब, एटीएम तक में लोगों को कैश नहीं मिलने लगा. चालू वित्तीय वर्ष के प्रथम तिमाही में लगभग हर बैंक के एटीएम की स्थिति कमोवेश एक जैसी देखने को मिली. जिला का दूसरा बड़ा बाजार फुसरो के एटीएम की स्थिति कैशलेस वाली ही बनी हुई है.
खेती की ओर नहीं दिया गया ध्यान, चढ़कर गिरा ग्राफ
देश कृषि प्रधान है. हर फैसला कृषि को प्रभावित करता है. नोटबंदी के नजरिये से बोकारो का ग्राफ संतोषजनक नहीं माना जा सकता है. 2015-16 में 12673 किसान को कुल कृषि लोन मिला, वहीं 2016-17 में आंकड़ा बढ़ कर 15771 हो गया, लेकिन चालू वित्तीय वर्ष में साफ गिरावट देखी जा सकती है. 2017-18 के प्रथम तिमाही व चालू वित्तीय वर्ष का तुलानात्मक आंकड़ा पर गौर करने से गिरावट देखी जा सकती है. 2017-18 में 2944 किसानों को लाभ मिला, जबकि चालू वित्तीय (2018-19) वर्ष में सिर्फ 1524 किसानों को लाभ मिला.
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