आइसीटीसी बोकारो के नोडल पदाधिकारी डॉ बीपी गुप्ता ने बताया कि एचआइवी संक्रमण गर्भवती महिला से उसके होने वाले शिशु तक पहुंच सकता है. यह आशंका लगभग 25 से 40 प्रतिशत होती है. अगर किसी को एचआइवी है, तो अच्छा अपचार व देखभाल शिशु के खतरे को काफी हद तक कम कर देता है. इसलिए समय पर एचआइवी का पता चलना जरूरी है. हर गर्भवती महिला को एचआइवी जांच जरूर करानी चाहिए. एचआइवी संक्रमण होने पर प्रसव अस्पताल में ही कराना चाहिए.
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बोकारो में हर माह पांच एचआइवी पॉजिटिव!
बोकारो: बोकारो जिले में हर माह औसतन पांच एचआइवी पॉजिटिव की पहचान हाे रही है. जिले के दो आइसीटीसी (एचआइवी जांच केंद्र) सेंटर (बोकारो व गोमिया सेंटर) में 11 माह में 8,707 मरीजों की स्क्रीनिंग की गयी है. इसमें 60 एचआइवी पॉजिटिव मिले. जनवरी से नवंबर के बीच दो एचआइवी पीड़ित की मौत हो चुकी […]
बोकारो: बोकारो जिले में हर माह औसतन पांच एचआइवी पॉजिटिव की पहचान हाे रही है. जिले के दो आइसीटीसी (एचआइवी जांच केंद्र) सेंटर (बोकारो व गोमिया सेंटर) में 11 माह में 8,707 मरीजों की स्क्रीनिंग की गयी है. इसमें 60 एचआइवी पॉजिटिव मिले. जनवरी से नवंबर के बीच दो एचआइवी पीड़ित की मौत हो चुकी है. इन्होंने बीच में ही दवा छोड़ दी थी.
60 एचआइवी मरीजों में से आठ में एचआइवी के साथ-साथ यक्ष्मा के भी लक्षण हैं. एचआइवी संक्रमण की मुख्य वजह एफएसडब्ल्यू, एमएसएम, इंजेक्टेबल, ब्लड ट्रासफ्यूजन, ड्रग यूजर आदि होना है. बोकारो में सिन्नी (गर्भवती के लिए) व प्रयास (एफएसडब्लू व एमएसएम) लोगों को कांउंसेलिंग और जागरूकता के तहत बचाने का प्रयास कर रहे हैं. स्लम क्षेत्र में जागरूकता के अभाव में एचआइवी पॉजिटिव अधिक मिल रहे हैं.
आइसीटीसी बोकारो के नोडल पदाधिकारी डॉ बीपी गुप्ता ने बताया कि एचआइवी संक्रमण गर्भवती महिला से उसके होने वाले शिशु तक पहुंच सकता है. यह आशंका लगभग 25 से 40 प्रतिशत होती है. अगर किसी को एचआइवी है, तो अच्छा अपचार व देखभाल शिशु के खतरे को काफी हद तक कम कर देता है. इसलिए समय पर एचआइवी का पता चलना जरूरी है. हर गर्भवती महिला को एचआइवी जांच जरूर करानी चाहिए. एचआइवी संक्रमण होने पर प्रसव अस्पताल में ही कराना चाहिए.
क्या कहते हैं संबंधित स्वयंसेवी संगठन
छह वर्षों से एचआइवी संक्रमित लोगों के लिए काम कर रही हूं. फिलहाल गर्भवती महिलाओं की एचआइवी जांच करायी जा रही है. अभी तक किसी तरह की समस्या नहीं आयी है. एक परिवार में पति-पत्नी व जन्म के बाद उनके बच्चे को भी एचआइवी संक्रमण है. काफी समझाने-बुझाने के बाद महिला व उसके पति ने दवा शुरू की. इसके बाद दवा छोड़ दी. दवा शुरू करने के बाद थोड़ी परेशानी होती है. इसके बाद सब सामान्य होने लगता है. पर प्रभावित परिवार नहीं मान रहा है. समझाया जा रहा है.
संगीता मिश्र, जिला समन्वयक (बोकारो, धनबाद, गिरिडीह), सिन्नी
कई वर्षों से एमएसएम व एफएसडब्ल्यू के बीच काम कर रहा हूं. बोकारो में सर्वे के अनुसार 900 एफएसडब्ल्यू है. इसमें स्लम एरिया की महिलाएं व युवतियां अधिक हैं. हम चार स्टेज के उम्र के बीच काम कर रहे हैं. एफएसडब्ल्यू को ढूंढने में काफी परेशानी होती है. फिर चिह्नित कर बराबर जांच कराना पड़ता है. फिलहाल 400 महिलाओं की जांच होनी है. 80 प्रतिशत महिलाओं की जांच पूरी कर ली गयी है. बाकी जांच कराने में कतराती हैं. जागरूकता के अभाव में लोग एचआइवी के दलदल में फंस जाते हैं.
अजय कुमार सिन्हा, कार्यकर्ता, प्रयास
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