चंद्रपुरा: सीटीपीएस से उत्सर्जित छाई से अब बांग्लादेश में सीमेंट बनेगी. बुधवार को छाई लदी पहली रेलवे रैक बांग्लादेश रवाना हुई़ दो साल पूर्व एक कंपनी ने रेलवे रैक से छाई ले जाने का करार डीवीसी के साथ किया था, मगर उसे इसमें सफलता नहीं मिली थी़ छह माह पूर्व सीटीपीएस से प्रतिमाह 15 हजार मिट्रिक टन छाई ले जाने का करार टेनासियस सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी ने डीवीसी के साथ किया है़.
कंपनी के अनुसार प्रत्येक माह पांच-छह रैक छाई बंगलादेश भेजी जायेगी. करार दो साल के लिए हुआ है. मालूम हो कि प्लांट से उत्सर्जित छाई को अनुपयोगी माना जाता रहा है. मगर अब यह कई उद्योगों में प्रयुक्त होने लगा है़ खासकर सींमेंट बनाने में ड्राइ ऐश की डिमांड अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ गयी है़ इधर उपयोगी ऐश को ले जाने के लिए कई कंपनियां आगे आयी है़ं.
सीटीपीएस से प्रतिमाह उत्सर्जित होती है डेढ़ लाख मिट्रिक टन छाई : सीटीपीएस प्लांट से प्रतिमाह लगभग डेढ़ लाख मिट्रिक टन छाई उत्सर्जित होती है़ अधिकांश छाई को पानी के साथ ऐश पौंड में गिराया जाता है. इसके बाद सड़क मार्ग से बंद कोयला खदानों में भर दिया जाता है़ छाइ ट्रांसपोर्टिंग के लिए प्रबंधन को करोड़ों रुपये खर्च करना पड़ता है.
300 स्थानीय युवकों को मिला रोजगार : अमरनाथ
टेनासियस सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमरनाथ ने बताया कि सेलो में गिर रही छाई को बोरे में भर कर उसे प्लांट तक पहुंचाने व रेलवे यार्ड में उन बोरों को डिब्बे में भरने के कार्य के लिए स्थानीय 300 युवकों को काम पर रखा गया है़
रैक से पहली बार बाहर जा रही छाई : एके झा
सीटीपीएस के उपमुख्य अभियंता (असैनिक) के झा ने कहा कि पहली बार डीवीसी के इतिहास में रेलवे रैक से छाई को बाहर भेजी जा रही है़ इसके लिए प्लांट के बाहर सेलो बनाया गया है, जहां कंपनी ने दो मशीनें लगायी हुई है. इससे छाई को वहां गिरा कर बोरे में बंद कर रैक से बाहर भेजा जा रहा है़.