बोकारो: ये पंक्तियां गीता का भावानुवाद हैं और अनुवादक हैं बोकारो पब्लिक स्कूल सेक्टर-3 के वरीय हिंदी शिक्षक शशिकांत तिवारी. इसमें भी 18 अध्याय है. अंतर इतना है कि सुगम गीता में हिंदी की 16-16 मात्रा का छंद है. श्री तिवारी को इस अनुवाद कर्म में नौ साल लगे. किताब का प्रकाशन रवि रंजन ने किया है.
सोमवार को श्री तिवारी ने बीपीएस के निदेशक कैप्टन आरसी यादव व प्राचार्य डॉ. संजय कुमार को पुस्तक की प्रति भेंट की. कैप्टन यादव व डॉ. सिन्हा ने कहा : श्री तिवारी का यह कार्य निस्संदेह लोकोपकारी होने के कारण स्तुत्य है. विश्वास है कि ‘सुगम गीता’ पाठकों में लोकप्रिय होगी. श्री तिवारी ने सोमवार को ‘प्रभात खबर’ से बातचीत के दौरान कहा : जन सामान्य की भाषा हिंदी में गीता लिखने की आवश्यकता ‘सुगम गीता’ की रचना का उद्देश्य है. बताया : एक बार मेरे मित्र अपने घर की चाबी देकर गांव चले गये.
उनके घर टीवी देख रहा था. उसी समय हरिवंश राय बच्चन जी का निधन हुआ था. बच्चन जी का साक्षात्कार टीवी पर आ रहा था. एक सवाल के जवाब में बच्चन जी ने कहा : मैंने गोस्वामी तुलसीदास से उनकी भाषा अवधी ली और ‘जनगीता’ की रचना की. यह सुन कर मैंने भी हिंदी कविता में गीता अनुवाद करने की ठान ली.
ऐसे हुआ गीता का हिंदी काव्यानुवाद
श्री तिवारी ने बताया : अनुवाद में नहीं चाहते हुए भी कुछ कठिन शब्दों के प्रयोग हुए हैं, जिनके अर्थ श्लोक संख्या लिख कर अध्याय के अंत में पाठकों की सुविधा के लिए लिखना व कुछ शब्दों की टिप्पणियां लिखना आवश्यक समझा गया है. बताया : गीता को सहज, सुबोध व सुगम बनाने में अनेक चिंतकों व मनीषियों के ग्रंथों का सहारा लेना पड़ा है. इनमें श्री शांति प्रकाश का श्री आदि भगवद्गीता, स्वामी सहजानंद सरस्वती का गीता-हृदय व डॉ. सर्वेपल्ली राधाकृष्णन का भगवद्गीता प्रमुख हैं. साथ ही ललन तिवारी, शंकरदेव पाठक, डॉ. कृष्णनंदन ओझा, मनोज गिरी, उमाकांत शुक्ल का भी इसमें भरपूर सहयोग मिला.
30 से अधिक तरह-तरह के छंद
श्री तिवारी ने बताया : मेरी अगली कृति मगही रचना वीर छंद में रचित ‘समर गान’ है. इसमें गीता से लेकर महाभारत तक की लड़ाई का जिक्र होगा. भीष्म पितामह पर आधारित किताब ‘संरक्षक’ हिंदी भाषा में प्रकाशित होने वाली है. इसके पहले अवधी में ‘गणपति चालीसा’ प्रकाशित हो चुकी है. साथ ही गीता के 100 श्लोकों का हिंदी में दोहा छंद में अनुवाद ‘गीता शतक’ भी प्रकाशित हो चुका है. श्री तिवारी ने बताया : अब तक 30 से अधिक तरह-तरह की कविता लिख चुका हूं. इनमें से कुछ कविताएं बोकारो पब्लिक स्कूल की पत्रिका में प्रकाशित हुई है.