बोकारो: अधिकारियों के वेज रिवीजन में थर्ड पीआरसी के द्वारा जो अफोर्डबिलिटी क्लॉज जोड़ा गया है, वो अधिकारियों के साथ सरासर ज्यादती है. इस क्लॉज के कारण अधिकारियों का वेज रिवीजन अधर में लटक गया है. सेफी व कॉमको की ओर से हर मंच पर इसका विरोध किया गया. फिर भी इस क्लॉज को बिना हटाये पास कर दिया गया है.
सेल का अंतिम 3 साल का एवरेज प्रॉफिट बिफोर टैक्स (पीबीटी) नेगेटिव है. इस कारण सेल के अधिकारियों का वेज रिवीजन नहीं हो पायेगा. इससे अधिकारियों में इस क्लॉज को लेकर जबरदस्त रोष है. इसके खिलाफ बीएसएल सहित सेल के अधिकारी चरणबद्ध आंदोलन करेंगे. ये बातें बोकारो स्टील ऑफिसर्स एसोसिएशन (बोसा) के अध्यक्ष डॉ पीके पांडे ने कही.
बोसा की बैठक सेक्टर-4 एफ स्थित कार्यालय में हुई. बैठक में काउंसिल मेंबर्स को सेफी की ओर से पास किये गये प्रस्तावों की जानकारी दी गयी. वेज रिविजन से संबंधित आगे की रणनीति तय की गयी. डॉ पांडे ने कहा : अधिकांश सरकारी उपक्रमों के घाटे में होने के बाद भी उनका वेज रिवीजन हुआ. फिर सरकार पब्लिक सेक्टर यूनिट पर ही यह मनमानी कैसे थोप सकती है? सेफी व बोसा ने सरकार की ज्यादती का विरोध करने का फैसला लिया है. जल्द ही बीएसएल सहित सेल से सभी प्लांट के बाहर गेट मीटिंग कर इस फैसले का विरोध किया जायेगा. 05 सितंबर को अधिकारी काला-बिल्ला लगा कर विरोध करेंगे. 12 सितंबर को अधिकारी दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरना देंगे.
अधिकारियों का मनोबल गिराना उचित नहीं
डॉ पांडे ने कहा : सेल चेयरमैन पीके सिंह के मार्गदर्शन व बीएसएल सीइओ पवन कुमार सिंह के दिशा-निर्देश में बीएसएल सहित सेल ने बेहतरी की ओर कदम बढ़ा दिया है. ऐसे में यह कदम अधिकारियों को हत्सोसाहित करने वाला है. जब प्लांट प्रॉफिट की ओर कदम बढ़ा रहा है, तब अधिकारियों का मनोबल गिराना उचित नहीं है. अधिकारी इसके विरोध में जापानी मॉडल को अपनाते हुए दुगुने उत्साह के साथ काम कर अपना विरोध दर्ज करेंगे. डॉ पांडे ने मुश्किल की इस घड़ी में सभी अधिकारियों से एकजुट होकर इस विरोध का हिस्सा बनने की अपील की, ताकि इसे अभूतपूर्व रूप से सफल बनाया जा सके. कहा : अधिकारियों के हित व अधिकार के प्रति बोसा सजग है.
अधिकारियों पर अकेले गाज क्यों?
बोसा के महासचिव लंबोदर उपाध्याय ने कहा : अगर वेज रिवीजन 10 साल के लिए हो रहा है, तो फिर अंतिम तीन साल के पीबीटी को आधार क्यों माना जा रहा है. सेल के लॉस में जाने का मुख्य वजह मॉडर्नाइजेशन पर किये गये खर्च और उस खर्च में बरती गयी लापरवाही है. इसका निर्णय सेल के आला अधिकारियों के साथ इस्पात मंत्रालय ने भी मिलकर लिया था. इस लापरवाही का परिणाम अधिकारियों को भी भुगतना पड़ रहा है, जो इस लापरवाही के हिस्सा भी नही थे. स्टील मंत्रालय के ब्यूरोक्र ेट्स का वेज रिवीजन तो बड़े आसानी के साथ कर दिया गया है तो फिर सेल के अधिकारियों पर अकेले यह गाज क्यों गिराई जा रही है. इस्पात मंत्रालय के लिए भी यही अफोर्डबिलिटी क्लॉज होना चाहिए था?