एसीबी ने जांच में आये तथ्यों के आधार पर सरकार को पत्र लिख कर अविनाश कुमार पर प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी थी. इसके बाद सरकार ने महाधिवक्ता से कानूनी सलाह मांगी थी. महाधिवक्ता की सलाह एसीबी कार्यालय में पहुंच गयी है. एसीबी अब एजी की टिप्पणी सरकार को भेजेगी. इसके बाद मामले में अंतिम निर्णय लिया जायेगा. आइएएस अधिकारी अविनाश कुमार अभी आरइओ के सचिव हैं. तीन अप्रैल को वह एसीबी मुख्यालय में गये थे. तब बताया गया था कि जांच के दौरान अविनाश कुमार से कुछ सवाल के जवाब मांगे गये थे. वह जवाब देने के लिए एसीबी कार्यालय में आये थे.
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आइएएस अविनाश कुमार पर केस दर्ज करने की जरूरत नहीं
रांची: सरकार के महाधिवक्ता कार्यालय ने हाउसिंग बोर्ड की भूमि के आवंटन में हुई गड़बड़ी के आरोपी वरिष्ठ आइएएस अधिकारी अविनाश कुमार पर प्राथमिकी दर्ज करने की जरूरत नहीं बतायी है. साथ ही सलाह दी है कि सरकार चाहे तो उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू कर सकती है. मामले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) […]
रांची: सरकार के महाधिवक्ता कार्यालय ने हाउसिंग बोर्ड की भूमि के आवंटन में हुई गड़बड़ी के आरोपी वरिष्ठ आइएएस अधिकारी अविनाश कुमार पर प्राथमिकी दर्ज करने की जरूरत नहीं बतायी है. साथ ही सलाह दी है कि सरकार चाहे तो उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू कर सकती है. मामले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) कर रहा है.
एसीबी ने जांच में आये तथ्यों के आधार पर सरकार को पत्र लिख कर अविनाश कुमार पर प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी थी. इसके बाद सरकार ने महाधिवक्ता से कानूनी सलाह मांगी थी. महाधिवक्ता की सलाह एसीबी कार्यालय में पहुंच गयी है. एसीबी अब एजी की टिप्पणी सरकार को भेजेगी. इसके बाद मामले में अंतिम निर्णय लिया जायेगा. आइएएस अधिकारी अविनाश कुमार अभी आरइओ के सचिव हैं. तीन अप्रैल को वह एसीबी मुख्यालय में गये थे. तब बताया गया था कि जांच के दौरान अविनाश कुमार से कुछ सवाल के जवाब मांगे गये थे. वह जवाब देने के लिए एसीबी कार्यालय में आये थे.
क्या है मामला : करीब छह साल पहले हरमू हाउसिंग की जमीन बिल्डरों को आवंटित करने का मामला सामने आया था. इसके बाद सरकार ने मामले की निगरानी (अब एसीबी) जांच शुरू करायी थी. पांच-छह सालों तक चली जांच के बाद एसीबी ने पिछले साल रिपोर्ट सरकार को भेजी थी. एसीबी ने गड़बड़ी की शिकायत को सही पाया. हाउसिंग बोर्ड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक अविनाश कुमार, तत्कालीन प्रबंध निदेशक अब्राहम रौना समेत अन्य सरकारी पदाधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी थी.
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