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सरकार ने कोर्ट को दी जानकारी: तीन हजार जवानों की होगी तैनाती, अदालतों की सुरक्षा को लेकर पुलिस का बनेगा अलग कैडर

रांची: झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को निचली अदालतों की सुरक्षा को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार की अोर से बताया गया कि निचली अदालतों की सुरक्षा के लिए जल्द ही पुलिस का अलग से कैडर बनाया जायेगा. पर्याप्त संख्या में जवानों की तैनाती की जायेगी. इसमें तीन हजार […]

रांची: झारखंड हाइकोर्ट में शुक्रवार को निचली अदालतों की सुरक्षा को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार की अोर से बताया गया कि निचली अदालतों की सुरक्षा के लिए जल्द ही पुलिस का अलग से कैडर बनाया जायेगा. पर्याप्त संख्या में जवानों की तैनाती की जायेगी. इसमें तीन हजार जवानों को शामिल किया जायेगा. इस दिशा में सरकार काम कर रही है.

एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. खंडपीठ ने सरकार के जवाब को देखते हुए झारखंड स्टेट बार काउंसिल व दूसरे पक्षों से भी अपना सुझाव देने को कहा. इसके बाद खंडपीठ ने सुनवाई स्थगित कर दी. मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी. इससे पूर्व बार काउंसिल की ओर से बताया गया कि अदालतों में तीन प्रवेश द्वार होना चाहिए. एक प्रवेश द्वार से न्यायाधीश व कोर्ट के अधिकारी, दूसरे से अधिवक्ता व तीसरे प्रवेश द्वार से मुवक्किलों के प्रवेश की व्यवस्था होनी चाहिए. सभी प्रवेश द्वार पर मेटल डिटेक्टर लगाया जाये. अदालत परिसर में आनेवालों की सुरक्षा की जांच सही तरीके से की जाये. जिन अदालतों में चहारदीवारी नहीं है, वहां ऊंची चहारदीवारी का निर्माण भी हो. गाैरतलब है कि सिविल कोर्ट परिसर जमशेदपुर में पिछले दिनों एक व्यक्ति की हत्या कर दी गयी थी. इस घटना के बाद अधिवक्ता सुरक्षा की मांग को लेकर एक दिन न्यायिक कार्य से अलग रहे थे. सुरक्षा को लेकर झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने जनहित याचिका दायर की है.

रांची-जमशेदपुर एनएच फोर लेन के कार्य में तेजी लायें : कोर्ट

रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) पर होनेवाली दुर्घटनाअों को रोकने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. रांची-जमशेदपुर एनएच के फोर लेन कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया. कोर्ट ने सड़क सुरक्षा के मुद्दे पर परिवहन सचिव, पथ निर्माण विभाग के सचिव व एनएचएआइ को प्रतिवादी बनाते हुए नोटिस जारी करने का निर्देश दिया.

एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान रांची-जमशेदपुर एनएच की जर्जर हालत पर टिप्पणी की. माैखिक रूप से कहा कि 122 किमी की दूरी तय करने में कई घंटे लग जा रहे हैं. दो माह पूर्व सड़क के कुछ गड्ढों को भरा गया था, लेकिन वर्तमान में इसकी स्थिति खराब है. यह सवाल बन गया है कि रांची से जमशेदपुर पहुंचने में कितना समय लगेगा. सुरक्षित पहुंच भी पायेंगे अथवा नहीं. खंडपीठ ने कहा कि सड़क के फोर लेन कार्य में तेजी लायी जाये. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से बताया गया कि इस एनएच को लेकर अलग से भी जनहित याचिका दायर की गयी है, जो अदालत में लंबित है. इस पर खंडपीठ ने अगली तिथि को इस केस का नंबर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सत्यजीत कुमार चौधरी ने जनहित याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर सुरक्षा के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किये हैं. इसमें कुछ दूरी के बाद एंबुलेंस रखने, स्कूलों के 50 फीट आगे व पीछे बोर्ड लगाने, हिंदी, अंग्रेजी व स्थानीय भाषा में नजदीकी अस्पतालों की जानकारी देने, जगह-जगह ट्रामा सेंटर खोलना आदि शामिल है, लेकिन झारखंड में ऐसा कुछ भी नहीं किया जा रहा है. सड़क दुर्घटना में काफी संख्या में लोग अपनी जिंदगी गंवा चुके हैं.

देवघर शिक्षक नियुक्ति गड़बड़ी मामले में दें स्टेटस रिपोर्ट

रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को देवघर में सहायक शिक्षकों की नियुक्ति में हुई गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. जांच का स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. देवघर के उपायुक्त को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब देने का निर्देश दिया. एक्टिंग चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. उक्त जनहित याचिका झारखंड नन गजटेड एलीमेंट की अोर से दायर की गयी है. इसमें कहा गया है कि देवघर जिले में शिक्षक नियुक्ति में 31 लोगों को योग्य करार दिया गया, जिनके पास अर्हता नहीं थी. प्रारंभिक जांच में पांच लोगों को दोषी पाया गया था, लेकिन सिर्फ तीन के खिलाफ ही प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.

प्राथमिक शिक्षा निदेशक व डीएसइ उपस्थित हों

रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डीएन पटेल की अदालत ने शुक्रवार को अवमानना याचिका पर सुनवाई की. आदेश का अनुपालन नहीं करने पर अधिकारियों की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जतायी. अदालत ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक के साथ-साथ पलामू व गढ़वा के जिला शिक्षा अधीक्षक (डीएसइ) को अगली सुनवाई के दाैरान सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया. अदालत ने पूछा कि आदेश देने के बावजूद वरीयता सूची क्यों नहीं बनायी गयी. मामले की अगली सुनवाई जनवरी के अंतिम सप्ताह में होगी. प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता साैरभ अरुण ने पैरवी की.

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