11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लौट सकता है सुखदेव का बचपन,बशर्ते..

उत्तम कुमार/ब्रजेश सिंहकोई बच्‍चा तीन साल से बाहर निकला मलद्वार लेकर घूमता रहे और उसी अवस्था में उसे अपनी दिनचर्या पूरी करनी पड़े तो समझा जा सकता है कि उसकी क्या हालत होगी. यह हकीकत है गम्हरिया प्रखंडांतर्गत सातबोहनी के जमालपुर ग्राम निवासी पुरुषोत्तम महतो के तीन वर्षीय पुत्र सुखदेव महतो की, जो ऐसी ही […]

उत्तम कुमार/ब्रजेश सिंह
कोई बच्‍चा तीन साल से बाहर निकला मलद्वार लेकर घूमता रहे और उसी अवस्था में उसे अपनी दिनचर्या पूरी करनी पड़े तो समझा जा सकता है कि उसकी क्या हालत होगी. यह हकीकत है गम्हरिया प्रखंडांतर्गत सातबोहनी के जमालपुर ग्राम निवासी पुरुषोत्तम महतो के तीन वर्षीय पुत्र सुखदेव महतो की, जो ऐसी ही जिंदगी जीने को विवश है.

परिवार की हालत ऐसी कि बच्चे का इलाज भी नहीं करा पा रहा. पूरे गांव के बच्चे जब स्वच्छंद खेल-कूद रहे होते हैं, तब भी उसके परिजन उसे अपनी सावधान नजरों के सामने ही खेलने देते हैं कि उसे उसी जगह चोट न लग जाय, जिससे समस्या और बढ़ जाय.

सातबोहनी निवासी पुरुषोत्तम महतो की पत्नी गीता महतो को धाटशिला के बड़ाजुड़ी स्थित कालाचित्ती स्थित मायके में प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन उसे घाटशिला अनुमंडल अस्पताल ले गये. उसने 25 फरवरी 2011 को वहीं एक पुत्र को जन्म दिया. जल्द ही पता चला कि बच्चे को जन्म के बाद से ही शौच नहीं हो रहा. तीन दिन बाद जब वह बच्चे को अनुमंडल अस्पताल में दिखाने पहुंची तो चिकित्सक ने उसे एमजीएम अस्पताल रेफर कर दिया. उधर बच्चे का पेट लगातार फूल रहा था. एमजीएम अस्पताल से उसे टीएमएच रेफर कर दिया गया, जहां 27 फरवरी 2011 को उसका इलाज शुरू हुआ तथा चिकित्सकों ने उसका ऑपरेशन कर तात्कालिक उपाय के तौर पर वैकल्पिक मलद्वार बाहर निकाल दिया. लेकिन इस क्रम में एक और ग्लैंड पेट से निकालना पड़ा. इसके बाद से उसे शौच तो होने लगा, लेकिन दूसरा ग्लैंड लगातार बढ़ता ही जा रहा है.

गरीब परिजन अस्पताल की बढ़ती फीस देख बच्चे को 4 मार्च 2011 को दबाव डालकर डॉक्टर से बच्चे की अस्पताल से छुट्टी करा ली. बच्च उसी समय से वैसे ही जीने को विवश है. उसकी मां गीता महतो का कहना है कि बच्च खाता पीता सब कुछ है, लेकिन उसका मलद्वार बाहर निकला हुआ है, जो कभी-कभी पेट के अंदर भी चला जाता है, लेकिन फिर बाहर निकल आता है. वह लगातार बढ़ता ही जा रहा है. डर रहता है कि उसे कहीं चोट नहीं लग जाय, जिससे स्थिति खराब हो जाये तो क्या करेंगे.

यह रेयर केस है, लेकिन इलाज संभव : टीएमएच
ऐसा केस रेयर होता है. वर्ष 2011 में इलाज के दौरान बच्चे के परिजनों ने कहा था कि बाद में इलाज करा लेंगे. लेकिन उन लोगों ने अब तक इलाज नहीं कराया है. मरीज के परिजन अगर आते हैं तो हम निश्चित तौर पर उसका इलाज करेंगे और हर संभव मदद करेंगे. कुछेक बच्चों में शौच नहीं निकलने का केस होता है, जिसको एनोरेक्टल एनोमली कहा जाता है. उसका इलाज कोलोस्टोमी से जरिये होता है. जन्म के समय चिकित्सक वैकल्पिक रास्ता बना देते हैं, लेकिन बाद में उसका ऑपरेशन कर इसका इलाज संभव है, जो टीएमएच में भी संभव है.

-जी रामदास, जीएम, टीएमएच
आप भी आगे आयें, करें मदद: सुखदेव के पिता पुरुषोत्तम महतो मजदूरी (बोरा ढोने का काम) कर परिवार चलाते हैं. उनके लिए बच्चे का इलाज करा पाना अब संभव नहीं है. उसने कई सामाजिक संगठनों और आम लोगों से इलाज में मदद की गुहार भी लगायी है. इच्छुक लोग बच्चे की मदद के लिए 8809671044 और 9204733260 नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें