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गवाह अपहरण मामला सीबीआइ के हवाले

रांची: झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डीएन उपाध्याय की अदालत ने 2012 में वोट के बाद रद्द हो चुके राज्यसभा चुनाव में हुई हॉर्स ट्रेडिंग के गवाह विकास पांडेय उर्फ संटी पांडेय के अपहरण के मामले की जांच सीबीआइ को सौंपने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि मामले में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की […]

रांची: झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डीएन उपाध्याय की अदालत ने 2012 में वोट के बाद रद्द हो चुके राज्यसभा चुनाव में हुई हॉर्स ट्रेडिंग के गवाह विकास पांडेय उर्फ संटी पांडेय के अपहरण के मामले की जांच सीबीआइ को सौंपने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि मामले में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की थी. पर अब तक न तो आरोप पत्र दाखिल किया गया है और न ही आरोपी गिरफ्तार किये गये हैं.

मामले को लेकर विकास पांडेय की पत्नी प्रार्थी रीना देवी की ओर से दायर क्रिमिनल रिट याचिका पर प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पैरवी की.

उन्होंने बताया, अदालत ने पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट होकर मामले को सीबीआइ को सौंपने का निर्देश दिया. अदालत ने यह भी कहा कि स्पीकर के पास अभियोजन स्वीकृति देने के अलावा अन्य कोई अधिकार नहीं है. पुलिस ने सिर्फ सीता सोरेन के खिलाफ जांच की. जबकि मामले में उनके पिता बीएन माझी, अंगरक्षक व नौकरानी आदि भी शामिल हैं.

क्या है याचिका में

24 दिसंबर 2012 को अरगोड़ा थाना क्षेत्र में सहजानंद चौक के पास से उनके पति विकास पांडेय उर्फ संटी पांडेय का अपहरण कर लिया गया. उनके साथ मारपीट की गयी

पुलिस ने दवाब पड़ने पर विधायक सीता सोरेन व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की

2013 में पुलिस ने अपहरण मामले की जांच पूरी करने के बाद विधानसभाध्यक्ष से अभियोजन स्वीकृति की मांग की थी

स्पीकर ने कुछ बिंदुओं पर दोबारा जांच करने को कहा था. तब से मामला लंबित है. चाजर्शीट भी दायर नहीं हो पायी है.

याचिका में कहा गया कि राज्यसभा चुनाव हॉर्स ट्रेडिंग की जांच सीबीआइ कर रही है. इसलिए मामले के गवाह के अपहरण मामले को भी सीबीआइ को हैंडओवर की जाये

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