रांची. कांग्रेस नेता और सांसद सुबोधकांत सहाय ने कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गंठबंधन सरकार चलाने का अनुभव नहीं है. ऐसी सरकार आम सहमति से चलती है. सरकार में आम सहमति नहीं होने से सवाल उठता है. नेतृत्व की ईमानदारी पर अंगुली उठती है. ददई दुबे वही सवाल उठा रहे हैं. श्री सहाय ने कहा कि हेमंत को अनुभव की कमी है, यह राज्यसभा चुनाव में भी दिखा. अपने एक फैसले से पार्टी के अंदर भी घिर गये. मुख्यमंत्री को फैसला लेने से पहले सहयोगी दलों का भरोसा जीतना चाहिए. अकेले फैसला लेना घातक है.
कांग्रेस नेतृत्व से ददई को हटाने की होगी मांग
रांची: मंत्री ददई दुबे के मामले में अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी आर-पार की लड़ाई ठान ली है. ददई पर मुख्यमंत्री ने आरोपों का पुलिंदा तैयार किया है, जिसे कांग्रेस आलाकमान के समक्ष पेश किया जायेगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शुक्रवार को विशेष विमान से दिल्ली गये. उनके साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत, मंत्री हाजी हुसैन अंसारी और सीएम के राजनीतिक सलाहकार हिमांशु शेखर चौधरी भी दिल्ली गये. सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री अब कांग्रेस आलाकमान से साफ-साफ इस मुद्दे पर बात करेंगे. वह ददई दुबे को मंत्री पद से हटाने की मांग कर सकते हैं. इसके पीछे ठोस आधार देंगे कि किस तरह कांग्रेस के एक मंत्री की हरकतों से सरकार की किरकिरी हो रही है. कई बार सरकार को उनके बयान पर स्पष्टीकरण देना पड़ा है. समन्वय समिति के अध्यक्ष जयराम रमेश द्वारा बयानबाजी से मना करने के बावजूद वह लगातार बयानबाजी करते रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि आरोप में मंत्री द्वारा सरकार को काम नहीं करने के एवज में धमकी तक देने की बात शामिल है. यदा-कदा जनहित से इतर काम के लिए दबाव बनाये जाने की बात भी लिखी गयी है, जिसमें मनमाफिक अधिकारियों की पोस्टिंग की बात शामिल है.
सीएम ने सुबह में की शिकायत
मंत्री के बयान पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार की सुबह प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी बीके हरि प्रसाद से बात की. श्री प्रसाद ने उन्हें पूरी बात दिल्ली में आकर रखने की सलाह दी. इसके बाद दिल्ली जाने के पूर्व सीएम ने प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुखदेव भगत के साथ भी बैठक की. कहा जा रहा है कि दिल्ली में सीट शेयरिंग के साथ-साथ अब ददई दुबे पर कांग्रेस आलाकमान को ठोस फैसला लेने का दबाव बनाया जायेगा.
क्या हैं मंत्री ददई दुबे पर आरोप
अपने पुत्र को बाल संरक्षण आयोग का अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं.
आरइओ को ग्रामीण विकास विभाग में मर्ज नहीं करने से नाराजगी जता चुके हैं.
बीडीओ तबादले में मनमरजी की, पैरवी का आरोप विधायक, मंत्री व सीएम पर लगाया.
डीसी, डीडीसी, एसडीओ मनमाफिक चाहते हैं
जब से मंत्री बने हैं, तब से सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं. इस कारण कई बार सरकार को स्पष्टीकरण देना पड़ा.
भाजपा के एक सांसद के लिए जाति के आधार पर वोट देने की अपील की. इससे अपनी ही पार्टी को कटघरे में खड़ा कर दिया
रांची में जिला अभियंता को किसी खास पद पर बनाये रखने के लिए दबाव दिया.
मंत्रिमंडल में बातें न रख बाहर रखते हैं.
मुख्यमंत्री के सामने कुछ और बात करते हैं और बाहर कुछ और ददई का बयान आला नेताओं के पास रखेंगे : योगेंद्र साव
मुख्यमंत्री के खिलाफ ग्रामीण विकास मंत्री ददई दुबे की बयानबाजी पर मंत्री योगेंद्र साव ने कहा कि किसी भी विधायक को कोई शिकायत है, तो उसे समन्वय समिति की बैठक में रखना चाहिए. इस तरह के बयान से जनता के बीच खराब संदेश जाता है. किसी बात को रखने के लिए जहां उचित जगह है, वहीं बात रखनी चाहिए. दिल्ली में पार्टी के प्रदेश प्रभारी बीके हरि प्रसाद सहित अन्य आला नेताओं के समक्ष पूरी बातों को रखेंगे. उक्त बातें उन्होंने शनिवार को दिल्ली जाने के क्रम में एयरपोर्ट पर कही. श्री साव ने कहा कि जनप्रतिनिधि को अपनी गरिमा का ध्यान रखते हुए बयान देना चाहिए.
उम्मीद है कि ददई दुबे का यह आखिरी बयान हो: जयराम रमेश
कांग्रेस आलाकमान को यह लगने लगा है कि राज्य में अपने-अपने विभाग का काम करने के बजाय पार्टी के मंत्री विवादास्पद बयान में समय जाया कर रहे हैं. कई बार इन मंत्रियों को समझाया गया है, लेकिन फिर भी कांग्रेस के मंत्रीगण बयान देने से बाज नहीं आ रहे हैं. इससे सरकार और कांग्रेस पार्टी दोनों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. हालांकि, अब ऐसे बयान पर आलाकमान चुप नहीं बैठेगा और उन मंत्रियों पर कार्रवाई की जा सकती है, जिनके बयान के कारण पार्टी और सरकार दोनों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. राज्य की को-ऑर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन जयराम रमेश से नयी दिल्ली में प्रभात खबर ने मंत्रियों के विवादास्पद बयान और इससे निपटने के साथ ही पार्टी का नजरिया जानने की कोशिश की. प्रस्तुत है अंजनी कुमार सिंह की जयराम रमेश से बातचीत के मुख्य अंश :
कांग्रेस के मंत्री चंद्रशेखर दुबे (ददई दुबे) के बयान से झामुमो की स्थिति असहज है. इसे आप किस रूप में देखते हैं?
मैंने कई बार अपने वरिष्ठ साथी चंद्रशेखर दुबे जी से कहा है कि वह जब कोई बयान देते हैं, तो सोच कर दें. कभी-कभी वह ऐसे बयान दे देते हैं, जो न केवल गलत है, बल्कि पार्टी को भी नुकसान पहुंचा देता है. मैंने उन्हें कई बार समझाया है. उन्हें एक महत्वपूर्ण मंत्रलय सौंपा गया है. उनसे कहा गया है कि उन्हें जो जिम्मेवारी दी गयी है, उसे वह सफलतापूर्वक निभायें, पर दुबे जी तो दुबे जी हैं. फिर भी मैं यह उम्मीद करता हूं कि वह संयम और शांति से अपना काम करें.
आप को-ऑर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन हैं, लेकिन सरकार के मंत्रियों के बीच ही किसी तरह का को-ऑर्डिनेशन नहीं है?
मैंने उनसे कई बार बात की. उन्हें समझाया भी है. वह वरिष्ठ हैं और सांसद भी रह चुके हैं. इसलिए उनसे सोच-समझ कर बयान देने के साथ ही संयम बरतने को कहा गया है. दो महीने पहले मैंने उनकी मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात भी करायी, ताकि उनके मन में जो भी कुछ हो, दूर किया जा सका, लेकिन वह जो व्यवहार कर रहे हैं, उसे कदापि सही नहीं कहा जा सकता है. उनका व्यवहार सरकार और पार्टी दोनों को नुकसान पहुंचा रहा है.
कांग्रेस के ज्यादातर मंत्री काम करने से ज्यादा अपने विवादों के लिए चर्चा में रहते हैं? क्या ऐसे विवादों से सरकार के कामकाज पर असर नहीं पड़ता है?
प्रदेश प्रभारी वीके हरि प्रसाद जी भी इन सारी बातों से अवगत हैं. ददई दुबे को यह नहीं समझना चाहिए कि आलाकमान को कुछ पता नहीं है. गंठबंधन की सरकार है. जिम्मेवार सरकार है. संवेदनशील ढंग से सरकार चलानी है. ददई दुबे को भारी विभाग भी दिया गया है, इसलिए उन्हें ठीक ढंग से सरकार चलाने में सहयोग करना चाहिए. आश्चर्य की बात है कि वह काम करने के बजाय वाद-विवाद में समय नष्ट कर रहे हैं. उनके पास ग्रामीण विकास का कार्यभार है. इसलिए उन्हें अपने विभाग में केंद्र सरकार की योजना को पूरी तरह लागू कराने के साथ ही केंद्र से जितना सहयोग मिल सके, उस पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करना चाहिए. आश्चर्य होता है कि उनके विभाग के काम के लिए मुङो उनके पीछे भागना पड़ता है, जिससे राज्य का विकास हो और केंद्र सरकार ज्यादा से ज्यादा राशि झारखंड को दे सके.
कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कांग्रेस आलाकमान से ऐसे मंत्रियों पर कार्रवाई करने की मांग की है?
उनके ऊपर क्या कार्रवाई हो सकती है, इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता हूं, क्योंकि मैं झारखंड का प्रभारी नहीं हूं, लेकिन प्रदेश प्रभारी हरि प्रसाद इस पर नजर रखे हुए हैं. उन्होंने कई बार उनको (ददई दुबे) समझाया भी है. इसलिए उम्मीद करता हूं कि यह बयान आखिरी है. यदि ऐसी बात दोबारा होती है या फिर इस तरह के बयान से सरकार और पार्टी को नुकसान पहुंचता है, तो हाइकमान को नोटिस लेना पड़ सकता है.
कांग्रेस के अन्य मंत्री भी विवादास्पद बयान के कारण पार्टी की किरकिरी करा चुके हैं. उनके विषय में आप क्या कहेंगे?
अन्य मंत्रियों को भी समझाया गया है. गीताश्री उरांव के बयान से भी पार्टी को नुकसान पहुंचा है. सरकार को भी इसका नुकसान उठाना पड़ा है. कई बार योगेंद्र साव से भी बात करनी पड़ी है. राजेंद्र सिंह से भी बात करनी पड़ी है. मन्नान मल्लिक का काम अब तक ठीक रहा है. हमारे मंत्रियों को यह समझना चाहिए कि वह 13 साल बाद सरकार में आये हैं. यदि अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन सही तरीके से नहीं करेंगे, तो इससे उनका भी अहित होगा. पार्टी का अहित तो होगा ही.
राज्य में अक्सर ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर विवाद बढ़ता है. क्या सरकार में रहने का मतलब अपने चहेतों को मनपसंद जगह पर ट्रांसफर-पोस्टिंग कराना ही रह गया है?
मैंने बार-बार अपने मंत्रियों से कहा है कि ट्रांसफर और पोस्टिंग की बीमारी में न पड़ें, लेकिन लगता है कि हमारे मंत्री भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. उन्हें ट्रांसफर-पोस्टिंग की बीमारी में पड़ने के बजाय जो काम मिला है, उस पर ध्यान देना चाहिए. मंत्रियों को यह बात भली-भांति समझनी चाहिए कि यह सरकार गंठबंधन की सरकार है. इस सरकार में कांग्रेस का स्थान दूसरा है. कांग्रेस ड्राइविंग सीट पर नहीं है. ड्राइवर तो झामुमो है. इसलिए ऐसी बीमारी पालने के बजाय जनता के हित में काम करें, तो पार्टी, राज्य और सरकार सभी का भला होगा.