देवघर: झारखंड के पूर्व सीएम सह झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी गुरुवार को देवघर प्रभात खबर दफ्तर आये. इस दौरान उन्होंने झारखंड की वर्तमान राजनीतिक स्थिति और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी की स्ट्रेटजी के अलावा फेडरल फ्रंट और राष्ट्रीय दलों के बारे में पूछे गये प्रश्नों का जवाब दिया. श्री मरांडी ने कहा : देश की दो सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस और भाजपा सिकुड़ती जा रही है. ये दल जनता से दूर हो रहे हैं जबकि क्षेत्रीय दल जनता के करीब जा रहे हैं. इसी का नतीजा है कि क्षेत्रीय दल हर राज्य में उभर रहे हैं. ऐसा इसलिए संभव हो रहा है क्योंकि समाज में राजनीतिक चेतना आयी है.
भाजपा और कांग्रेस के साथ कभी नहीं जायेंगे
बाबूलाल ने कहा : उनका मानना है कि बड़े दलों के सांसद झारखंड की आवाज दिल्ली में नहीं उठा पायेंगे. इसलिए पार्टी कांग्रेस और भाजपा के साथ कभी नहीं जायेगी. 2009 के लोकसभा चुनाव परिणाम में जिस तरह पहली बार पार्टी ने संताल की तीनों सीटों पर उम्मीदवार खड़ा किया. तीनों सीटों पर कमोवेश 20 हजार वोटों के अंतर पर हारे. पांच सालों तक पार्टी ने गांव-गांव तक जनता के मुद्दों की लड़ाई लड़ी. अब हमारी स्थिति काफी मजबूत है, इसलिए आने वाले लोकसभा चुनाव में झाविमो किसी भी दल को कड़ी टक्कर देगी. झाविमो केंद्र में झारखंड की आवाज बनेगी.
10 माह बाद झाविमो की सरकार बनेगी
श्री मरांडी ने कहा : डोमिसाइल इस राज्य की बड़ी समस्या है. सरकार की इच्छा शक्ति के अभाव के कारण आज तक नीति नहीं बन पायी. 10 माह बाद झाविमो की सरकार बनेगी तो दो माह के अंदर डोमिसाइल नीति बनायेंगे. जरूरत पड़ी को इसके लिए जनसंवाद भी करेंगे.
क्षेत्रीय दल एक दूसरे की मदद करें
बाबूलाल ने कहा : जब क्षेत्रीय दल सत्ता में आते हैं तो वे दिल्ली की गद्दी की ओर देखने लगते हैं. देश की सत्ता की ओर देखने लगते हैं. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. जो क्षेत्रीय दल जिस जगह मजबूत स्थिति में हैं अन्य क्षेत्रीय दलों को चाहिए कि चुनाव लड़ने के बजाये, एक दूसरे की मदद करें. तभी मजबूती के साथ क्षेत्रीय दलों का गंठबंधन उभरेगा. एक सवाल के जवाब में श्री मरांडी ने कहा कि छोटी-छोटी पार्टियों को एक साथ लेकर चलना कठिन जरूर है लेकिन असंभव नहीं.
राज्य पुनर्गठन आयोग बनाना चाहिए
श्री मरांडी ने कहा : संसद में जिस तरह की घटना गुरुवार को हुई. वह शर्मसार कर देने वाली है. भारत सरकार को अब राज्य पुनर्गठन आयोग बनाना चाहिए. नये राज्य बनाना चाहिए. जो राज्य सक्षम हैं, वहां अलग राज्य बनने से विकास अधिक होगा.
अस्थिरता के लिए सीटें कम होना मुद्दा नहीं
उन्होंने कहा कि झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता के कारण विकास नहीं हुआ. उनका मानना है कि सीटें कम होना अस्थिरता का कारण नहीं है. कई ऐसे राज्य उदाहरण हैं जहां सीटें कम हैं लेकिन पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है. दिल्ली में भी चलती रही है सरकारें. इस बार दिल्ली में स्पष्ट मेंडेट नहीं मिला. झारखंड में भी सीटें बढ़े, इससे सभी वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व मिलेगा. लेकिन सीटें बढ़ाना केंद्र सरकार का काम है.