रांची: राज्य के 900 स्कूल-कॉलेजों में हड़ताल के कारण लगभग चार लाख विद्यार्थियों का पठन-पाठन बाधित हो रहा है. 12 फरवरी से झारखंड राज्य वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोरचा के बैनर तले स्थापना अनुमति विद्यालय, इंटर कॉलेज, संस्कृत स्कूल व मदरसा शिक्षक हड़ताल पर हैं. इससे आठ सौ से अधिक स्थापना अनुमति विद्यालय व इंटर कॉलेजों में पठन-पाठन ठप हैं.
गुरुवार को दूसरे दिन भी इनकी हड़ताल जारी रही. संघर्ष मोरचा के रघुनाथ सिंह ने बताया कि 15 फरवरी को पलामू प्रमंडल के शिक्षक आयुक्त कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया जायेगा. 19 फरवरी से बिरसा चौक के समक्ष घेरा डालो-डेरा डालो कार्यक्रम की शुरुआत होगी. शिक्षकों ने मैट्रिक व इंटर परीक्षा के बहिष्कार की भी घोषणा की है. दूसरी ओर 55 स्थायी संबद्ध डिग्री कॉलेजों के शिक्षक 16 दिसंबर से ही हड़ताल पर हैं. पिछले आठ दिनों से उनका आमरण अनशन जारी है.
वित्त रहित मोरचा की मांग
इंटर कॉलेज प्रस्वीकृति नियामवली 2005, स्थापना अनुमति प्रस्वीकृति नियमावली 2008 में संशोधन, इंटर कॉलेजों का अधिग्रहण या घाटा अनुदान देने, 105 कॉलेजों को प्रस्वीकृति देने संबंधी लंबित मामले का निष्पादन, अनुदान के बदले पूर्ण वेतन देना, बिहार के तर्ज पर अनुदान देने की मांग शामिल हैं.
स्थायी संबद्ध डिग्री कॉलेज के शिक्षकों की मांग
कॉलेजों के अंगीभूत/घाटा अनुदान देने की मांग कर रहे है. अध्यक्ष नरेंद्र सिंह ने कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जायेगी अनशन व हड़ताल सहित आंदोलन जारी रहेगा.
सरकार की कार्रवाई
शिक्षकों की मांग पर विचार के लिए कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जा रही है. शिक्षा मंत्री के अनुसार मामले में नियम अनुरूप कार्रवाई की जायेगी. इंटरमीडिएट प्रस्वीकृति नियमावली 2005 में संशोधन के प्रस्ताव को कार्मिक विभाग की स्वीकृति मिल गयी है. संशोधित प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया है. स्थापना अनुमति उच्च विद्यालय प्रस्वीकृति
नियामवली 2008 में संशोधन के लिए शिक्षा मंत्री ने प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है. आगे की कार्रवाई के लिए संलेख तैयार किया जा रहा है. प्रस्वीकृति प्राप्त संस्कृत स्कूल व मदरसा को अनुदान देने के लिए पूर्व प्रस्ताव के कुछ बिंदुओं पर वित्त विभाग ने जानकारी मांगी है.