-अजय-
बिहार राज्य विद्युत बोर्ड के अधिकारियों ने ‘रांची एक्सप्रेस’ की बिजली काटने की कोशिश की. यह तो सिर्फ आरंभिक चरण है, इसके बाद क्रमबद्ध ढंग से अखबारों को परेशान करने की सुनियोजित कोशिश होगी. इस पूरे प्रकरण को इस पृष्ठभूमि में देखना होगा कि बिहार के ऊर्जा राज्यमंत्री रांची में यह कह कर गये हैं कि बिजली-पानी के मसले पर रांची में जनाक्रोश भड़काने का काम अखबारों ने किया है. अखबारों का बुनियादी फर्ज है, पाठकों को सूचना देना.
रांची के सभी अखबारों ने इस मसले पर यह काम साहस और खोजपूर्ण ढंग से किया. बिजली-पानी न होने, विद्युत बोर्ड के अधिकारियों के भ्रष्टाचार और विद्युत बोर्ड को कंगाल बनाने की खबरें अगर कोई छापता है, तो इसमें गलत क्या है? बिहार राज्य विद्युत बोर्ड की औसत उत्पादन क्षमता 1425 मेगावाट है. जबकि प्रतिदिन का औसत उत्पादन है 250 मेगावाट ऐसा अक्षम और सफेद हाथी और कहां है?
गलत ढंग से कितने उपभोक्ताओं ने विद्युत आपूर्ति का अवैध कनेक्शन लिया है, यह सब बोर्ड के अधिकारियों की मिलीभगत से होता है. अगर इसका भंडाफोड़ होता हैं, तो बोर्ड के अधिकारी अखबारों को तबाह करने के लिए काम करते हैं.संभव है ऐसे ओछे तरीके से अखबारों को परेशान भी किया जाये, पर अब तक की घटनाएं बतायी हैं कि ऐसी हथकंडों से समाचार पत्र और प्रभावी और निर्णायक होकर उभरते हैं. शासकों को यह स्मरण रखना चाहिए. अखबारों को तबाह करने के संकेत मिलने लगे हैं.