रांची: झारखंड के ग्रामीण बच्चे सेटेलाइट के माध्यम से विशेषज्ञ शिक्षकों से शिक्षा हासिल कर सकेंगे. दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से यह संभव हो सकेगा. केंद्रीय संचार मंत्रलय से मंजूरी मिलने के बाद यह कार्यक्रम शुरू किया जायेगा.
ग्रामीण स्कूलों में टीवी व अन्य उपकरणों के जरिये यह पढ़ाई होगी. रांची के स्टूडियो में विशेषज्ञ शिक्षक पढ़ायेंगे, जिसे सेटेलाइट के माध्यम से सुदूरवर्ती स्कूलों में स्थित बच्चे पढ़ सकेंगे. यह कार्यक्रम इसी वर्ष अप्रैल से शुरू हो सकता है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सहयोग से झारखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (जेसैक) इस प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहा है. रांची स्थित जेसैक कार्यालय में बने स्टूडियो व दूरदराज के इलाकों के स्कूलों सहित अन्य शिक्षण संस्थानों में बन रहे प्रशिक्षण केंद्र (लर्निग सेंटर) के जरिये यह पढ़ाई होगी. इससे ग्रामीण इलाके के उन विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा, जो विशेष शिक्षा के लिए शहर नहीं जा सकते हैं.
इस कार्यक्रम के जरिये शिक्षकों की कमी की समस्या भी हल होगी. पहले चरण में कुल 42 लर्निग सेंटर बनाये जा रहे हैं. इनमें से 10 का काम पूरा हो चुका है. 18 केंद्रों के उपकरण भी पहुंचचुके हैं.
राज्य में 42 प्रशिक्षण केंद्र
सरकारी स्कूल : उवि बजरा रांची, उवि करंजटोली गुमला, बालिका उवि चाईबासा, निरपाज उवि सरायकेला, एसएसएलएनटी बालिका उवि धनबाद, जिला स्कूल दुमका, उवि बरहेट साहेबगंज, बालिका उवि डाल्टनगंज व राजकीयकृत उवि चंदवा लातेहार (एक स्कूल के नाम पर निर्णय नहीं). बीएड कॉलेज : इनके नाम पर निर्णय होना है. डायट-बीआरसी/प्राइमरी टीचर्स ट्रेनिंग (पीटीटी) कॉलेज : चितरपुर रामगढ़, सिमरिया चतरा, चास बोकारो, बेंगाबाद गिरिडीह, मुरहू खूंटी, सिमडेगा, लोहरदगा, सरायकेला, मिहिया जामताड़ा, गोड्डा, पाकुड़, बाइपास लातेहार, गढ़वा व झुमरीतिलैया कोडरमा. राजकीय पॉलिटेक्निक : रांची (पुरुष), रांची (महिला), धनबाद, बोकारो (महिला), लातेहार, कोडरमा, पू सिंहभूम, दुमका, जमशेदपुर (महिला), बोकारो, धनबाद, सरायेकला व धनबाद. जिलों में बन चुके हैं 10 एसआइटी : डायट कैंपस रातू, अमलाटोला चाईबासा, खूंटा बांध दुमका, एसएसए हजारीबाग, रदना डाल्टनगंज, जगजीवन नगर धनबाद, साकची जमशेदपुर, जसीडीह देवघर, गांधी चौक साहेबगंज व जिला विज्ञान केंद्र गुमला.
कैसे होगा काम
प्रशिक्षण केंद्र व स्टूडियो के बीच ऑडयो विजुअल (दृश्य व श्रवण) माध्यम से पढ़ाई या प्रशिक्षण का काम होगा. इसरो के उपग्रह एजुसेट (जीसैट-3) के माध्यम से स्टूडियो के शिक्षक व विशेषज्ञ प्रशिक्षण केंद्रों में बैठे विद्यार्थियों व शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे.
केंद्र सरकार से पांच तरह का क्लीयरेंस लेना है. भुगतान की चिंता संबंधित कंपनी को खुद है. केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद भुगतान होगा और काम में भी तेजी आयेगी.
सर्वेश सिंघल, निदेशक
झारखंड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर