– पेयजल, शिक्षा व स्वास्थ्य मुहैया नहीं
।। दीपक ।।
रांची : झारखंड में आदिम जनजाति के संरक्षण और विकास से जुड़े काम लगभग ठप हैं. केंद्र की ओर से आदिम जनजातियों के संरक्षण और विकास कार्यक्रम (सीसीडी) के लिए 11वीं योजना में दी गयी राशि का सदुपयोग नहीं हो सका है. जनजातीय मामलों के मंत्रालय से राज्य के बिरहोर, असुर, बिरजिया, कोरवा, सरवर, पहाड़िया, माल पहाड़िया और शौर्य पहाड़िया जनजाति के विकास के लिए पैसे दिये गये थे. इसका मकसद आदिम जनजातीय परिवारों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी भी बनाना था.
इसके तहत स्वयं सहायता समूहों का गठन, स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता, बिजली, बुनियादी शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और आजीविका सुधार कार्यक्रम संचालित होने थे, पर पेयजल और सौर ऊर्जा को छोड़ कोई काम नहीं किया गया. राज्य सरकार की ओर से रामगढ़, खूंटी, पश्चिमी सिंहभूम, जामताड़ा और धनबाद को सीसीडी कार्यक्रम का पैसा दिया गया था. 2011-12 में केंद्र से भी इसके लिए 5.01 करोड़ दिये गये थे, जिसमें से 4.32 करोड़ सरेंडर कर दिये गये.
* मैट्रिक पास की होनी थी सीधी नियुक्ति
तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने आदिम जनजाति के मैट्रिक उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को सीधी सरकारी नियुक्ति दिये जाने की घोषणा की थी. इनमें से कुछ ही युवक-युवतियों को सरकार रोजगार मुहैया करा पायी. यह योजना भी फिलहाल सुस्त चल रही है. जिलों में रोस्टर नहीं बनने से सरकार आदिम जनजाति के शिक्षित युवकों को रोजगार भी नहीं दे पा रही है.
* राज्य में 2.03 लाख आदिम जनजाति के लोग
राज्य में आदिम जनजाति की आबादी कुल जनजातीय आबादी का तीन प्रतिशत है. कल्याण विभाग की ओर से उपलब्ध कराये गये आंकड़ों के हिसाब से आदिम जनजाति की आबादी 2.03 लाख से अधिक है.
* 50 करोड़ का प्रावधान
हर वर्ष राज्य की ओर से आदिम जनजाति के विकास को लेकर 50 करोड़ की योजनाएं तैयार की जाती हैं. इसमें पहाड़िया जाति विशेष कल्याण की योजना शामिल है. इतना ही नहीं, पहाड़िया जाति के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मद में भी सरकार प्रावधान कर रही है.