रांचीः स्थानीय नीति के मुद्दे पर आदिवासी-मूलवासी महासभा के तत्वावधान में रविवार को महापंचायत का आयोजन हुआ. मोरहाबादी स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी सभागार में हुए इस आयोजन में बड़ी संख्या में विभिन्न संगठनों के लोग एवं छात्र शामिल हुए. महासभा में प्रस्ताव पारित किया गया कि स्थानीयता के मुद्दे पर 11 दिसंबर को राजभवन मार्च का आयोजन होगा. मुख्यमंत्री, सभी मंत्री एवं सभी राजनीतिक दलों के प्रदेश अध्यक्ष को स्थानीय नीति लागू करने से संबंधित मांगपत्र सौंपा जायेगा. अगर एक महीने के अंदर स्थानीय नीति से संबंधित पहल नहीं होती है तो जनवरी के तीसरे सप्ताह में दिल्ली स्थित जंतर-मंतर के समक्ष धरना दिया जायेगा.
महासभा को संबोधित करते हुए डॉ करमा उरांव ने कहा कि सरकार में इच्छाशक्ति की कमी की वजह से स्थानीय नीति लागू नहीं हो सकी है. इसकी वजह सरकार में मौजूद बाहरी तत्वों का दबाव भी है. उन्होंने कहा कि स्थानीय नीति लागू नहीं हुई तो राज्य में अशांति और बढ़ेगी. स्थानीय लोगों का हक मारना और बाहरी लोगों को प्रोत्साहन देना सही नहीं है.
बंधन तिग्गा ने कहा कि स्थानीय नीति नहीं होने की वजह से यहां बेरोजगारी बढ़ रही है. इसी वजह से माओवाद और पैर फैला रहा है. बिहार में प्लस टू की परीक्षा में उतीर्ण दो विद्यार्थियों मोख्तार खान एवं अब्दुल क्यूम अंसारी ने कहा कि उतीर्ण होने के बावजूद उन्हें बिहार में योगदान नहीं करने दिया गया. दोनों से बिहार का रेसिडेंशियल प्रमाण पत्र मांगा गया था. एस अली, हुसैन कच्छी, चिंतामणि महतो, मुफ्ती अब्दुल्लाह अजहरी, ब्रजभूषण पाठक, शिवा कच्छप, प्रो जमशेद कमर, उबैदुल्लाह कासमी, प्रो प्रवीण उरांव सहित कई लोगों ने भी अपने विचार रखे.