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खर्च 29 लाख, नहीं लगे पौधे

-ऑडिट में पीएजी ने पकड़ा मामला, सरकार को दी जानकारी-रांचीः वृक्षारोपण के लिए स्वयंसेवी संस्था ‘‘उत्सव’‘ को 28.96 लाख रुपये दिये गये थे. जब जांच की गयी, तो पौधा लगाने का नामोनिशान नहीं पाया गया. इस संबंध में उपायुक्त ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया, लेकिन स्थिति यह है कि आदेश के दो साल […]

-ऑडिट में पीएजी ने पकड़ा मामला, सरकार को दी जानकारी-
रांचीः वृक्षारोपण के लिए स्वयंसेवी संस्था ‘‘उत्सव’‘ को 28.96 लाख रुपये दिये गये थे. जब जांच की गयी, तो पौधा लगाने का नामोनिशान नहीं पाया गया. इस संबंध में उपायुक्त ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया, लेकिन स्थिति यह है कि आदेश के दो साल बाद भी गबन के इस मामले में एनजीओ ‘‘उत्सव’‘ के विरुद्ध प्राथमिकी नहीं दर्ज करायी गयी है. जुलाई 2013 में ऑडिट के दौरान मामला पकड़ में आने के बाद प्रधान महालेखाकार (पीएजी) ने सरकार को इसकी जानकारी दी है.

पीएजी ने सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में कहा है कि चतरा जिले में अनुसूचित जनजातियों के लोगों की स्थिति में सुधार लाने के लिए उनकी जमीन पर इमारती और फलदार वृक्षारोपण और अनुसूचित जातियों के लोगों की जमीन पर बहुद्देशीय खेती की योजना बनायी गयी थी. एनजीओ ‘‘उत्सव’‘ ने ही इसका प्रस्ताव दिया था. योजना की स्वीकृति के साथ ही इस मद में नवंबर 2008 में 28.96 लाख रुपये का आवंटन आदेश जारी किया गया. मार्च 2009 में संस्था को आठ लाख रुपये बतौर अग्रिम दिये गये. अग्रिम लेने के पांचवें दिन ही संस्था ने योजना पर सात लाख रुपये खर्च करने का दावा पेश कर दिया. स्थानीय अधिकारियों ने इस दावे की जांच-पड़ताल किये बिना ही उसे 12.96 लाख रुपये की दूसरी किस्त दे दी. इसी तरह बगैर जांच के ही कुल चार किस्तों में एनजीओ को पूरी राशि दे दी गयी.

मार्च 2011 में डीडीसी ने योजना की जांच की. उन्होंने खैरा, सिमरातरी, जोरी, बहेरा आदि गांवों में जांच के बाद इसे गबन का मामला बताया. डीडीसी के जांच प्रतिवेदन के आधार पर डीसी ने खुद जांच की. उन्होंने योजना स्थल पर पौधा लगाने का नामोनिशान नहीं पाया. इसके बाद संस्था को तीन माह के अंदर पैसा वापस करने का निर्देश दिया गया. एनजीओ ने जब राशि नहीं वापस की, तो डीसी ने जून 2011 में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया. प्रधान महालेखाकार ने जुलाई 2013 में ऑडिट के दौरान पाया कि अब तक इस मामले में प्राथमिकी नहीं दर्ज की गयी है. ऑडिट टीम द्वारा इस मुद्दे पर उठाये गये सवालों के जवाब में स्थानीय अधिकारियों ने जवाब दिया कि प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की जा रही है. पीएजी ने इस जवाब को हास्यास्पद बताते हुए इस मामले में कल्याण विभाग के स्थानीय अधिकारियों की संलिप्तता की बात कही है.

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