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शौचालय घोटाला: आठ अफसरों पर दर्ज होगा केस

रांची: पेयजल स्वच्छता अभियान के तहत चान्हो ब्लॉक में हुए शौचालय निर्माण घोटाला से संबंधित मामले में लोकायुक्त ने सख्त रुख अपनाया है. लोकायुक्त न्यायमूर्ति अमरेश्वर सहाय की अदालत ने इस मामले में सोमवार को आठ अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है. इनमें चान्हो की तत्कालीन सीडीपीओ रेणु रवि, तत्कालीन बीडीओ […]

रांची: पेयजल स्वच्छता अभियान के तहत चान्हो ब्लॉक में हुए शौचालय निर्माण घोटाला से संबंधित मामले में लोकायुक्त ने सख्त रुख अपनाया है. लोकायुक्त न्यायमूर्ति अमरेश्वर सहाय की अदालत ने इस मामले में सोमवार को आठ अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है.

इनमें चान्हो की तत्कालीन सीडीपीओ रेणु रवि, तत्कालीन बीडीओ शालिनी विजय, तत्कालीन बीडीओ परमानंद वसील कुमार डांगा, तत्कालीन बीडीओ लियाकत अली, तत्कालीन कार्यपालक अभियंता सह सचिव प्रकल्प, रांची संजय कुमार, तत्कालीन जूनियर इंजीनियर पेयजल एवं स्वच्छता प्रशाखा, विनोद सिंह, तत्कालीन जूनियर इंजीनियर पेयजल एवं स्वच्छता प्रशाखा, उमेश कुमार शामिल हैं.

लोकायुक्त ने इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की भी अनुशंसा की है. इसके अलावा तत्कालीन ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर सुधीर उरांव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है. लोकायुक्त ने समाज कल्याण विभाग के सचिव, कार्मिक प्रशासनिक विभाग के सचिव, पेयजल स्वच्छता विभाग के सचिव और उपायुक्त, रांची को प्राथमिकी दर्ज कर तीन माह के अंदर रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया है. वहीं दूसरी तरफ घोटाले में शामिल छह एनजीओ को न्यायालय में मामला विचाराधीन रहने तक काली सूची में डालने का निर्देश दिया है. लोकायुक्त ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में एनजीओ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर दी गयी है.

चान्हो ब्लॉक में शौचालय निर्माण के घोटाला की जांच कराने को लेकर अधिवक्ता अख्तर हुसैन खान ने लोकायुक्त के पास 23 दिसंबर 2011 को शिकायतवाद दर्ज करायी थी. इसमें कहा गया था कि पेयजल स्वच्छता अभियान के तहत हर पंचायत में शौचालय निर्माण करना था. इसके लिए एक करोड़ 72 लाख 41 हजार रुपये स्वीकृत किये गये थे. कहा गया था कि शौचालय का निर्माण कराये बिना फरजी बिल के आधार पर 96.25 लाख रुपये की निकाली कर ली गयी है. कई जगह आधा अधूरा निर्माण कराया गया है. लाभुक से बिना बिल दिये 300 रुपये का राशि लेने के बाद भी निर्माण नहीं कराया गया है. यह घोटाला वर्ष 2002 से 2010 के बीच किया गया है.

कमेटी ने की थी जांच
लोकायुक्त ने इस मामले की जांच का जिम्मा उपायुक्त रांची को सौंपा गया था. उपायुक्त ने जांच के लिए आठ सदस्यीय कमेटी गठित की थी. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में घोटाले की बात स्वीकार की है. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर लोकायुक्त ने इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया है.

इन एनजीओ पर होगी कार्रवाई
जिन एनजीओ को काली सूची में डालने को कहा गया है कि, उनमें दीनबंधु कल्याण समिति, कुड़, लोहरदगा, न्यू होराइजोन एजुकेशन एंड सोशल डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन, सैनिक मार्केट, रांची, रूरल एरिया डेवलपमेंट सोसाइटी, रातू, रांची, ज्वाइंट ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमेनेटेरियम एड्स एंड राइटर्स (जोहार) कांके, रांची, आनंद विकास संस्था चोरया, चान्हो और आनंद प्रोडक्शन सेंटर चोरया, चान्हो शामिल है.

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