रांची: सिंहभूम क्षेत्र के पोड़ाहाट के राजा अर्जुन सिंह 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हो गये. आज उनके वंशज नौकरी की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं. उनके वंशज आज गरीबी की हालत में जी रहे हैं. राजपरिवार द्वारा बनाया गया महल अब झारखंड सरकार के कब्जे में हैं और शहीद का परिवार सोदाग में एक झोपड़ी में रह रहा है.
शहीद अर्जुन सिंह के प्रपौत्र प्रसन्नजीत सिंह गरीबी व गुमनामी का जीवन बसर कर रहे हैं. पिछले 10 वर्ष से वह सरकारी नौकरी की बाट जोहते हुए दर-दर भटक रहे हैं. ऐसा शायद ही कोई मुख्यमंत्री हों, जिन्होंने उन्हें नौकरी देने का आश्वासन न दिया हो. पर हकीकत यह है कि वह आज भी बेरोजगार हैं और नौकरी की तलाश में भटक रहे हैं. तत्कालीन बिहार सरकार के गृह विभाग के संयुक्त सचिव द्वारा 1999 में ही चाईबासा के उपायुक्त को आवश्यक कार्रवाई के लिए पत्र भेजा गया था.
स्वतंत्रता सेनानी का पेंशन भी अब उनके परिवार को मिलना बंद हो गया है. प्रसन्नजीत ने कई बार सरकारी मदद की गुहार लगायी है. मदद के लिए क्षेत्र के मंत्रियों व विधायकों ने अनुशंसा भी की पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
मुख्यमंत्री से लगायी गुहार
प्रसन्नजीत ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंप कर मदद की गुहार लगायी है. उन्होंने लिखा है कि 21.8.2010 को तत्कालीन मुख्य सचिव ने गृह विभाग के प्रधान सचिव को आवश्यक कार्रवाई के लिए लिखा था, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. लंबी अवधि से नियुक्ति का मामला गृह विभाग में लंबित है. परिवार की आर्थिक स्थिति का अवलोकन करते हुए जीवन-यापन के लिए उनके रोजगार की व्यवस्था की जाये. सीएम के वरीय आप्त सचिव ने आवेदन को गृह विभाग के प्रधान सचिव को आवश्यक कार्यवाही के लिए भेज दिया है.
स्वतंत्रता सेनानी कोष से भी मदद नहीं
प्रसन्नजीत बताते हैं कि सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी कोष का गठन किया है. कोल्हान के आयुक्त ने वर्षो पहले उन्हें सूचित किया कि इससे वंशजों को चिकित्सा, विवाह एवं आवास के लिए आर्थिक सहायता दी जायेगी. पर आजतक किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली है. प्रसन्नजीत कहते हैं कि कहने को वह राज परिवार और स्वतंत्रता सेनानी के वंशज हैं. तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा का गांव भी पोड़ाहाट राज में ही आता है.