रांचीः हजारीबाग जिले के केरेडारी में 23 जुलाई को हुए पुलिस गोलीकांड में बनायी गयी आयुक्त डॉ नितिन मदन कुलकर्णी और आइजी मुरारी लाल मीणा की उच्च स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि केरेडारी के पगारी गांव में एनटीपीसी के कार्यालय भवन निर्माण को लेकर दो ठेकेदारों में तनाव चल रहा था.
ठेकेदार ने निर्माण कार्य आरंभ करने की सूचना पुलिस को नहीं दी थी. इससे दूसरा गुट आक्रोशित हो गया था. इसकी सूचना मिलने के बाद पुलिस वहां पहुंची थी.ठेकेदारों के समर्थक बड़ी संख्या में एकत्रित हो गये थे. पुलिस के आने तक भीड़ उग्र हो चुकी थी. उन्होंने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया. इससे एक पुलिसकर्मी का सिर फट गया.मजबूरी में पुलिस को गोली चलानी पड़ी. इससे केशर महतो नामक के एक व्यक्ति की मृत्यु हो गयी. चार अन्य लोग घायल भी हो गये थे.
स्थानीय थाने ने की थी लापरवाही : जांच रिपोर्ट में घटना के लिए स्थानीय थाने को भी जिम्मेवार बताया गया है. कहा गया है कि केरेडारी व बड़कागांव में एनटीपीसी द्वारा किये जा रहे कार्य का स्थानीय लोग काफी समय से विरोध कर रहे थे. जमीन के बदले मुआवजा की राशि का वितरण व अन्य सुविधाओं को लेकर काफी विवाद था. ऐसे में घटना की जानकारी मिलने पर सहायक अवर निरीक्षक मुक्ति नारायण सिंह अपने साथ केवल एक –चार का पुलिस बल लेकर विवाद सुलझाने पहुंचे थे. थाना प्रभारी भी उस समय मौजूद नहीं थे. पुलिस की संख्या कम होने के कारण ही आक्रोशित ग्रामीणों ने पुलिस पर हमला कर दिया था.
रिपोर्ट को माना आधार : समिति ने घटना के बाद हजारीबाग डीसी सुनील कुमार व एसपी मनोज कौशिक द्वारा सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट को आधार मानते हुए जांच रिपोर्ट तैयार की है. इसमें कई बिंदुओं पर सहमति जतायी गयी है. डीसी और एसपी की जांच रिपोर्ट में घटना के लिए एनटीपीसी प्रबंधन को भी जिम्मेवार बताया गया था.