हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री
खेल दिवस की शुभकामना और बधाई. आज के दिन हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम अपनी प्रतिभा को छुपा नहीं रहने देंगे और न ही इसे कुंठित होने देंगे. झारखंड के बच्चों और युवाओं में प्रतिभा है, क्षमता है, हर हाल में गगन चूमने का जज्बा है. हमें सिर्फ खुद पर भरोसा रखना है, हम अगर ऐसा कर पायें, तो हमें खेल के क्षेत्र में देश ही नहीं, दुनिया भर में अपनी जगह बनाने से कोई नहीं रोक सकता.
हमारे राज्य के युवाओं ने अतीत में ऐसा कर दिखाया है और हमें पूरा विश्वास है कि भविष्य में भी ऐसा कर दिखायेंगे. क्रिकेट, हॉकी, तीरंदाजी, फुटबॉल, कुश्ती समेत कई अन्य खेलों में हमारे खिलाड़ियों ने दुनिया भर में झारखंड का लोहा मनवा दिया है.
हमें इस बात को स्वीकार करने में कतई संकोच नहीं है कि अब तक राज्य के जिन खिलाड़ियों ने देश-दुनिया में अपनी जगह बनायी है, उन्हें सरकार और प्रशासन से सहयोग व सम्मान तब मिला, जब उन्होंने अपनी पहचान बना ली या यूं कहंे कि अपने दम पर झारखंड का मान बढ़ा दिया. अतीत में सरकार और प्रशासन से अगर उचित माहौल, संसाधन और प्रशिक्षण उपलब्ध कराया होता, तो आज हमारा राज्य खेल के क्षेत्र में हरियाणा, पंजाब या दिल्ली से भी आगे निकल गया होता. पहले क्या हुआ और क्यों नहीं हुआ, इस पर मंथन कर या आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू कर हम कुछ भी हासिल नहीं कर सकते.
हमारी सरकार ने एक नयी शुरुआत करने का न सिर्फ संकल्प लिया है, बल्कि सार्थक पहल भी शुरू कर दी है. सरकार पारदर्शी नीति के तहत राज्य में खेल संस्कृति को समृद्ध करना चाहती है. सरकार बच्चों व युवाओं में खेल के प्रति उत्सुकता जगाने और खेल को अपना कैरियर बनाने को प्रेरित करने के लिए विशेष अभियान चलाने की योजना पर काम कर रही है. हमने स्कूलों, कॉलेजों, गांवों और शहरों में खेल के मैदान उपलब्ध कराने, प्रशिक्षण की व्यवस्था करने के साथ-साथ आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने के आदेश दे दिये हैं. बच्चों की प्रतिभा को पहचान कर विकसित करने और उन्हें खेल के साथ-साथ पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिये गये हैं. तीरंदाजी, हॉकी और फुटबॉल जैसे खेलों में दुनिया भर में छा जाने की क्षमता दूर-दराज के गांव में भरे पड़े हैं. उन्हें न तो माहौल मिल रहा है और न ही उनकी पहचान हो पा रही है. पंचायत स्तर पर इन प्रतिभाओं की पहचान करने की जरूरत है. राज्य में प्रतिभा की कमी नहीं है. कमी है, तो सिर्फ इन प्रतिभाओं को निखारने की. हम इन प्रतिभाओं को निखार कर दुनिया भर में चमकने का अवसर और साधन उपलब्ध करायेंगे. ये सरकार का नारा नहीं, अभियान है.
आज भी हमारे समाज, खास कर उन लोगों में, जो अपने बच्चों को खेल से दूर रख घर के कामकाज में लगाये रखते हैं, उन्हें ये समझना चाहिए कि अब वो समय नहीं रहा, जब ये कहा जाता था कि ‘खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब, पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब.’ हमें अपने सोच बदलने होंगे. देश-दुनिया के साथ कदम बढ़ाना होगा,नहीं तो हम क्षमता और प्रतिभा रहने के बावजूद पीछे छूट जायेंगे. अभिभावकों को चिंता छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि सरकार ने तय किया है कि वह खेल के क्षेत्र में राज्य और देश का नाम रोशन करनेवालों को न सिर्फ इनामी राशि देगी, बल्कि उन्हें सरकारी नौकरी भी दी जायेगी. खिलाड़ियों के साथ-साथ अभिभावकों को भी सम्मानित किया जायेगा, क्योंकि बच्चे आगे तभी बढ़ पायेंगे, जब उन्हें अभिभावकों का पूरा सहयोग और समर्थन मिले.
झारखंड के कई खिलाड़ियों ने राज्यवासियों को ‘ गर्व से कहो, हम झारखंडी हैं’, कहने का अवसर कई बार दिया है. हाल में ही दीपिका ने एक बार फिर अपने तीर से झारखंड का मानचित्र दुनिया भर के लोगों के दिलों में उतार दिया. रांची के ओरमांझी की छोटी-छोटी बच्चियों ने अदभुत संघर्षशीलता का परिचय दिया और तमाम चुनौतियों को शिकस्त देते हुए स्पेन में हुए फुटबॉल टूर्नामेंट में ये साबित कर दिया कि खुद पर भरोसा किया जाये, तो कठिन से कठिन मंजिल आसान हो जाती है. अगर वे कर सकती हैं, तो आप क्यों नहीं कर सकते. कर सकते हैं, लक्ष्य तय कर खुद को लक्ष्य के प्रति समर्पित कर दें, लक्ष्य आपके कदम चूमेंगी.