रांची: झारखंड में राष्ट्रपति शासन के दौरान अधिकारियों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी अंधेरे में रखा. स्वीकृति से पहले ही उनसे योजना का शिलान्यास करा लिया. श्री मुखर्जी ने 30 मार्च को गोड्डा में मेगा हैंडलूम कलस्टर योजना का शिलान्यास किया था. राज्य सरकार ने इसकी हरी झंडी दी थी. पर सच्चई यह है कि इस मेगा हैंडलूम कलस्टर की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) को अब तक केंद्रीय मंजूरी नहीं मिली है. लगभग 100 करोड़ रुपये की इस योजना के लिए केंद्र सरकार के बजट में भी कोई प्रावधान नहीं है. मुख्य सचिव आरएस शर्मा द्वारा उद्योग विभाग की समीक्षा के दौरान यह बात सामने आयी. आनन-फानन में केंद्रीय टेक्सटाइल व हैंडलूम विभाग के अधिकारियों से बात की गयी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. अनुपूरक बजट संसद से पास किया जा चुका था.मौजूदा हालात में मेगा हैंडलूम कलस्टर का निर्माण मुश्किल हो गया है.
100 करोड़ की है योजना : गोड्डा में मेगा हैंडलूम कलस्टर निर्माण की योजना लगभग 100 करोड़ रुपये की है. योजना पर केंद्र सरकार द्वारा अगले पांच वर्षों के दौरान कुल 70 करोड़ रुपये (80 फीसदी) दिये जाने थे. शेष 20 फीसदी राशि लाभुकों को खर्च करनी थी. राज्य सरकार ने लाभुकों को सहायता पहुंचाने के लिए इसमें से 10 फीसदी राशि सहयोग के रूप में देने पर सहमति जतायी थी. योजना का लाभ संताल परगना के छह जिलों में काम करनेवाले बुनकरों और हैंडलूम व्यवसाय से जुड़े लोगों को मिलना प्रस्तावित था.
शिलान्यास से पहले मांगी थी जानकारी
राष्ट्रपति भवन की ओर से शिलान्यास से पूर्व ही तत्कालीन राज्य सरकार को पत्र भेज कर योजनाओं के संबंध में जानकारी मांगी गयी थी. सरकार की सलाह पर देवघर जलापूर्ति योजना समेत कई योजनाओं का शिलान्यास करने से राष्ट्रपति ने मना कर दिया था. मेगा हैंडलूम कलस्टर योजना पर राज्य सरकार की हरी झंडी के बाद ही राष्ट्रपति ने गोड्डा में योजना का शिलान्यास किया था.
हर तीन माह में जानकारी मांगता है राष्ट्रपति भवन
इधर, राष्ट्रपति भवन सरकार से हर तीन महीने में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा किये गये योजनाओं के शिलान्यास की कार्यप्रगति की जानकारी मांगता है. झारखंड के आला अधिकारियों को राष्ट्रपति भवन से आनेवाले पत्र का जवाब नहीं सूझ रहा है.
गोड्डा में मेगा हैंडलूम कलस्टर पूरी तरह से केंद्र सरकार की योजना है. केंद्र सरकार ने ही इसका डीपीआर तैयार कराया है. डीपीआर की स्वीकृति अब तक नहीं मिली है. डीपीआर की स्वीकृति प्रक्रिया में है. डीपीआर को मंजूरी मिलने के बाद ही काम शुरू हो सकता है.
एपी सिंह
प्रधान सचिव
उद्योग विभाग