रांची : केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने आज यहां कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी गठबंधन सरकार का कोई रिमोट कंट्रोल नहीं होगा और यदि कोई रिमोट कंट्रोल होगा भी तो वह मुख्यमंत्री हेमंत के हाथ में ही होगा.रमेश ने आज झारखंड की नवगठित झामुमो-कांग्रेस-राजद-निर्दलीय गठबंधन सरकार के ‘सुशासन के लिए साझा कार्यक्रम’ को जारी करते हुए यह बात कही. उन्होंने विपक्ष के उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया जिनमें कहा गया था कि हेमंत सोरेन नई सरकार के कठपुतली मुख्यमंत्री हैं और वास्तविक रिमोट कंट्रोल तो कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के हाथ में होगा.
रमेश ने कहा, ‘‘इस सरकार का कोई रिमोट कंट्रोल नहीं है. जो है, वह हेमंत के हाथ में ही है.’’उन्होंने कहा कि आशा करता हूं कि मुख्यमंत्री रिमोट कंट्रोल के स्टाप या रिवाइंड बटन को कभी भी नहीं दबायेंगे. रमेश ने कहा कि कांग्रेस यहां की गठबंधन सरकार में हेमंत सोरेन और अन्य लोगों का सहयोग करने के लिए है कोई रिमोट कंट्रोल चलाने के लिए नहीं.
उन्होंने आश्वस्त किया, ‘‘संप्रग से झारखंड सरकार को हर समय पूरा सहयोग मिलता रहेगा.’’केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘हम झारखंड में पारदर्शी और जवाबदेह सरकार देने को प्रतिबद्ध हैं. इसके लिए हमने कोई न्यूनतम साझा कार्यक्रम नहीं बनाया है बल्कि सुशासन के लिए साझा कार्यक्रम बनाया गया है जो वास्तव में झारखंड की जनता से किये गये वादे हैं जिनको पूरा करना सरकार का लक्ष्य है. इन कार्यक्रमों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए एक समिति का गठन होगा जिसकी बैठक हर माह होगी.’’
नक्सलियों से निपटने को बनी सरयू योजना पर शिंदे से कोई मतभेद नहीं :रमेश
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने आज कहा कि झारखंड में लातेहार और पलामू के कुछ क्षेत्रों में नक्सलियों से निपटने के लिए विकास की 249 करोड़ रुपये की सरयू योजना के विस्तार को लेकर उनमें और केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे में कोई मतभेद नहीं है. रमेश ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि झारखंड के लातेहार और पलामू जिलों के गंभीर रुप से नक्सल प्रभावित बारह ग्राम पंचायत क्षेत्रों में विकास कायो’ के लिए चलायी जा रही सरयू योजना का आगे भी विस्तार किया जायेगा, फर्क सिर्फ इतना होगा कि उन योजनाओं का नाम अलग होगा.
उन्होंने सरयू योजना के तहत पहले से चिह्नित इलाकों के अतिरिक्त और इलाकों को शामिल किये जाने की बात कही थी जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए मई में झारखंड के दौरे पर आये शिन्दे ने सरयू योजना के तहत झारखंड के और क्षेत्रों को शामिल करने के प्रस्ताव का यह कह कर विरोध किया था कि ऐसी योजनाओं का क्षेत्र सीमित होना चाहिए. शिन्दे ने कहा था कि नक्सलवाद के खात्मे के लिए राज्य के छोटे छोटे क्षेत्रों में अलग अलग नाम से अलग अलग विकास योजनाएं क्रियान्वित की जानी चाहिए. छोटे क्षेत्र में अलग योजना को लेकर चलने से उसका प्रबन्ध बेहतर होता है.
इस संबन्ध में पूछे जाने पर रमेश ने कहा, ‘‘हमारे विचारों में कोई विरोधाभास नहीं है. सरयू योजना जैसी अन्य योजनाएं प्रारंभ करने को लेकर कोई दो राय नहीं है. फर्क सिर्फ इतना है कि शिन्दे यह चाहते हैं कि अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग नाम से ऐसी विकास योजनाएं चलायी जायें.’’झारखंड में केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग की ओर से पहले सांरडा में नक्सलियों का प्रभाव कम करने के लिए सारंडा योजना के तहत विकास कार्य प्रारंभ किये गये और फिर लातेहार और पलामू में सरयू योजना के नाम से विकास योजनाएं प्रारंभ की गयीं हैं.