पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता अर्जुन मुंडा ने आरोप लगाया है कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी सरकार खरीद-फरोख्त की राजनीति कर रही है. बहुमत साबित करने के लिए विधायकों को तरह-तरह के प्रलोभन दिये जा रहे हैं. तात्कालिक लाभ के लिए कांग्रेस और झामुमो ने एक साजिश के तहत सरकार का गठन किया है. भाजपा के कार्यकर्ता और विधायक इस साजिश का परदाफाश करेंगे. प्रभात खबर के वरिष्ठ संवाददाता सुनील चौधरी ने राज्य के वर्तमान हालात पर उनसे बातचीत की.
विश्वासमत को लेकर विपक्ष की क्या तैयारी है? सदन में भाजपा की क्या भूमिका होगी?
हम जनमुद्दों और जनसरोकार की राजनीति करते हैं. सदन में भी जनहित से जुड़े मुद्दे उठायेंगे. सरकार सदन के प्रति जवाबदेह होती है. सरकार ने अभी बहुमत साबित करने की औपचारिकता तक पूरी नहीं की है. बहुमत कैसे जुटा रहे हैं, यह छिपा नहीं है. विधायकों को प्रलोभन दिये जा रहे हैं. भाजपा के कार्यकर्ता और विधायक अनुशासन के साथ जनमुद्दों पर टिके हुए हैं. प्रलोभन में नहीं आयेंगे. सरकार की इस साजिश का परदाफाश करेंगे.
निर्दलीयों के साथ बने इस गंठबंधन को आप किस रूप में देखते हैं?
इस गंठबंधन का राज्य के प्रति कोई उत्तरदायित्व नहीं होगा. यह सरकार दीर्घकालिक कार्ययोजना को लेकर नहीं बनी है. अल्पकालीन लाभ लेने के लिए यह सरकार बनी है. यह प्रवृत्ति दिखाई भी दे रही है.
पहले राष्ट्रपति शासन और अब कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार बनाने की क्या वजह मानते हैं?
राष्ट्रीय पार्टी को उत्तरदायित्व के साथ काम करना चाहिए. कांग्रेस ने अबतक जो भूमिका निभायी है, इससे इस पार्टी ने राष्ट्रीय पार्टी होने का चरित्र खो दिया है. इस राज्य के प्रति गहरी साजिश रची गयी है. छह महीने राष्ट्रपति शासन लगाने के बाद सरकार का गठन किया गया है. कांग्रेस, झामुमो या झाविमो किसी में भी विधानसभा भंग कराकर चुनाव लड़ने की ताकत नहीं है.
हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री का ताज मिलने पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
जब मेरी सरकार गिरी थी, उसी समय यदि कांग्रेस सरकार बनवा देती तब तो समझ में आता कि सरकार को बचाने के लिए सरकार बनी है. अब तो स्पष्ट हो गया है कि स्वार्थ के लिए सरकार बनी है. अब हेमंत सोरेन पर निर्भर करता है कि वह सरकार को किस ओर ले जाना चाहते हैं.
भाजपा के कई विधायक सत्ता पक्ष के संपर्क में है, क्या पार्टी के प्रति उनकी नाराजगी है?
ऐसी कोई बात नहीं है. इस प्रकार की बातें तो वही लोग कर रहे हैं, जो भाजपा के प्रति द्वेष रखते हैं. भाजपा सामूहिक निर्णय के साथ चलती है. पार्टी एकजुट है. कहीं कोई विवाद नहीं है.
भाजपा सरकार में नहीं है तो स्पीकर इस्तीफा क्यों नहीं दे रहे हैं?
लोकसभा में जब सोमनाथ चटर्जी स्पीकर पद पर थे, तो वाम मोरचा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. तब भी वह पद पर बने हुए थे. स्पीकर का पद संवैधानिक पद है. परंपराओं को तोड़ते हुए असंवैधानिक तरीके से सरकार गठन का प्रयास करने पर तो कोई बात नहीं उठती. स्पीकर तो संवैधानिक मर्यादाओं व कानून का पालन कर रहे हैं. स्पीकर का काम यह देखना है कि विधानसभा में मर्यादा का उल्लंघन न हो. स्पीकर किसी का पक्ष नहीं लेते. उनका आसन तो मर्यादा और नियमों से बंधा रहता है. आगे क्या करना है, यह निर्णय तो स्पीकर को ही लेना होगा.
भाजपा और झाविमो एक साथ विपक्ष में होंगे. ऐसे में क्या विपक्षी एकता की बातें होंगी?
भाजपा चाहती है कि जनमुद्दों पर विपक्ष का स्वर मुखर और एकजुट हो. लेकिन कुछ दलों का चरित्र परदे के पीछे अलग होता है. हम तो सिद्धांतों और जनमुद्दों को मुखरता से लायेंगे. सदन की मर्यादा भी बरकरार रखेंगे. सदन के भीतर व बाहर समान आचरण होगा.