रांची: भूमि संरक्षण विभाग ने जो राशि खर्च ही नहीं किया, उसका भी उपयोगिता प्रमाण पत्र दे दिया है. बाद में खर्च नहीं की गयी राशि को सरेंडर कर दिया. विभागीय सचिव ने पूरे मामले पर जानकारी मांगी है. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाइ) के तहत विभाग को 2012-13 में बिरसा पक्का चेक डैम के लिए 11.52 करोड़ रुपये मिले थे. इसका उपयोगिता प्रमाण पत्र भी 15 जनवरी को दे दिया गया था.
तत्कालीन कृषि सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने 28 जनवरी को उपयोगिता प्रमाण पत्र केंद्र को भी भेज दिया था. किंतु 2014-15 शुरू होने पर इसमें से 5.16 करोड़ रुपये सरेंडर कर दिये गये. इस कारण भारत सरकार ने आरकेवीवाइ योजना के तहत 50 फीसदी के स्थान पर 25 फीसदी राशि ही विमुक्त की.
बीपीडी के क्रियान्वयन पर भी उठाया सवाल
कृषि सचिव ने भूमि संरक्षण निदेशालय द्वारा बनाये जा रहे बिरसा चैक डैम के क्रियान्वयन की स्थिति पर सवाल उठाया है. कई बिंदु पर भूमि संरक्षण विभाग के निदेशक से स्पष्टीकरण मांगा गया है. निदेशक को लिखे पत्र में विभाग के उप निदेशक योजना व कृषि निदेशक द्वारा कुछ बिंदुओं पर उठाये गये सवाल की स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. भूमि संरक्षण विभाग के निदेशक राजीव कुमार ने चार अगस्त को पत्र लिख कर विभाग से बिरसा पक्का चेक डैम के निर्माण के लिए राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति द्वारा स्वीकृत 33.50 करोड़ रुपये की मांग की है. इसके लिए राशि का प्रावधान राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाइ) से किया गया है.
प्राप्त प्रतिवेदन पर उठाये सवाल
आरकेवीवाइ के नोडल पदाधिकारी कृषि निदेशक ने पलामू और गढ़वा में काम शुरू होने की तिथि अंकित नहीं होने का जिक्र अपनी रिपोर्ट में किया है. शेष जिलों से प्राप्त प्रतिवेदन में एक ही दिन काम शुरू होने का जिक्र किया है. इस पर निदेशक ने भी संदेह व्यक्त किया है. कृषि विभाग के उप निदेशक, योजना ने बीपीडी निर्माण पर विभिन्न जिलों से प्राप्त प्रतिवेदन पर सवाल उठाया है. उन्होंने लिखा है कि रिपोर्ट में जून से लेकर सितंबर तक डैम निर्माण की बात कही गयी है. जबकि, वर्षा ऋतु में बिरसा पक्का चेक डैम निर्माण की योजना कार्यान्वित करना संभव नहीं है.