रांची : सिमडेगा पुलिस के पास एनोस एक्का के खिलाफ कई साक्ष्य हैं. पुलिस के एक अधिकारी ने दावा किया कि सिमडेगा में शिक्षक मनोज की हत्या के मामले में पुलिस के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं. पुलिस के पास एनोस एक्का और पीएलएफआइ के सुप्रीमो दिनेश गोप के बीच हुई बातचीत का ब्योरा भी है. इसके अलावा एनोस एक्का और पीएलएफआइ के उग्रवादियों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे कई मोबाइल नंबरों का कॉल डिटेल भी पुलिस के पास है, जिसके आधार पर एनोस एक्का के खिलाफ अदालत में चाजर्शीट दाखिल की जायेगी.
उल्लेखनीय है कि सिमडेगा पुलिस ने शिक्षक मनोज की हत्या के मामले में नामजद अभियुक्त बनाये जाने के बाद 26 नवंबर की देर रात एनोस एक्का को गिरफ्तार किया था. जिसके बाद 27 नवंबर को उन्हें जेल भेज दिया गया. केलेबिरा थाना के पुलिस पदाधिकारी बृज कुमार ने एनोस एक्का की गिरफ्तारी के साथ जो आरेस्ट मेमो तैयार किया है, उसके मुताबिक मृत शिक्षक मनोज की स्थानीय ग्रामीणों और पारा शिक्षकों के बीच अच्छा-खासा प्रभाव है. इस प्रभाव को देखते हुए एनोस एक्का ने उन पर (मृतक मनोज को) अपने पक्ष में प्रचार करने का दवाब बनाया था. पक्ष में प्रचार नहीं करने के कारण एनोस एक्का मृतक को धमकी दे रहे थे.
पुलिस और दयामनी बरला ने दर्ज करायी थी प्राथमिकी
लोकसभा चुनाव के दौरान एनोस एक्का के खिलाफ कर्रा थाना में एक प्राथमिकी पुलिस ने और दूसरी प्राथमिकी आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी रहीं दयामनी बरला ने दर्ज करायी थी. कर्रा पुलिस ने एनोस एक्का के खिलाफ जो प्राथमिकी दर्ज की थी, उसमें पुलिस ने आरोप लगाया था कि एनोस एक्का ने पीएलएफआइ के उग्रवादी राजकमल गोप को भगा दिया. दोनों एक ही गाड़ी पर सवार थे. पुलिस ने राजकमल गोप को पकड़ने के लिए जब गाड़ी को रोकने कहा तो वे नहीं रुके. चुनाव के दौरान ही आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी दयामनी बारला ने कर्रा थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. प्राथमिकी में उन्होंने आरोप लगाया था कि पीएलएफआइ के उग्रवादी एनोस एक्का के पक्ष में काम कर रहे हैं. उग्रवादियों द्वारा उनके कार्यकर्ताओं को रोका जा रहा है और एनोस एक्का के पक्ष में मतदान करने के लिए लोगों को धमकाया जा रहा है.
जेठा कच्छप ने कहा था : चुनाव में की थी मदद
पीएलएफआइ के जोनल कमांडर जेठा कच्छप को तुपुदाना पुलिस ने चार अगस्त 2014 को गिरफ्तार किया था. उसने पुलिस को दिये स्वीकारोक्ति बयान में कहा है कि लोकसभा चुनाव में उसने टोकरी छाप पहचान चिह्न्वाले प्रत्याशी की मदद की थी. संगठन के निर्णय पर इस पहचान चिह्न् के प्रत्याशी के पक्ष में काम किया था.
टोकरी छापवाले प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने के लिए लोगों पर दवाब डाला था. उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में एनोस एक्का खूंटी लोकसभा क्षेत्र से झारखंड पार्टी के प्रत्याशी थे. चुनाव आयोग ने उन्हें टोकरी छाप आवंटित किया था. चुनाव में एनोस एक्का की हार हुई थी. चुनाव के दौरान भी मीडिया में यह खबर आयी थी कि पीएलएफआइ के उग्रवादी एक प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं. खूंटी लोकसभा क्षेत्र से आम आदमी की प्रत्याशी दयामनी बरला ने एनोस एक्का की शिकायत आयोग से की थी.