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इतनी जल्दबाजी का राज क्या!

ढाई गुनी बढ़ायी संयुक्त सचिव से लेकर विशेष सचिव तक के पदों की संख्या कैडर स्ट्रेंथ की समीक्षा से कैबिनेट की सहमति तक की प्रक्रिया शकील अख्तर रांची : सरकार ने राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिए संयुक्त सचिव से लेकर विशेष सचिव तक के पदों को ढाई गुना बढ़ा दिया है. पदों की […]

ढाई गुनी बढ़ायी संयुक्त सचिव से लेकर विशेष सचिव तक के पदों की संख्या

कैडर स्ट्रेंथ की समीक्षा से कैबिनेट की सहमति तक की प्रक्रिया

शकील अख्तर

रांची : सरकार ने राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिए संयुक्त सचिव से लेकर विशेष सचिव तक के पदों को ढाई गुना बढ़ा दिया है. पदों की संख्या अब 170 हो गयी है. पहले यह संख्या 68 थी. इन पदों के सृजन में काफी जल्दबाजी दिखायी गयी. तीन दिन में ही कैडर स्ट्रेंथ की समीक्षा से लेकर कैबिनेट की सहमति तक की प्रक्रिया पूरी हो गयी. यही नहीं समीक्षा बैठक तय तिथि से एक दिन पहले ही हो गयी. कैबिनेट में प्रस्ताव रखने की प्रक्रिया भी एक दिन में पूरी की गयी. इस हड़बड़ी का कारण कुछ अफसरों को जल्द प्रोन्नति देना है. इसके लिए अब कालावधि कम करने की भी कोशिश की जा रही है.

दिया गया तर्क : जानकारी के मुताबिक, पदों की संख्या बढ़ाने के लिए कार्मिक की ओर से तर्क दिया गया कि पिछले 11 वर्षो में विभाग ने प्रशासनिक सुधार की दिशा में कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया. विभागीय सचिव की इस टिप्पणी को कैबिनेट ने स्वीकार भी कर लिया. यह विभाग हमेशा से मुख्यमंत्रियों के ही अधीन रहा है.

क्या था मुख्यमंत्री का निर्देश : मुख्यमंत्री ने राज्य में गठित नयी प्रशासनिक इकाइयों (प्रखंड, अंचल, अनुमंडल, जिला) के मद्देनजर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के पदों की जरूरतों की समीक्षा का आदेश दिया था. इसके आलोक में वैसे पदों की संख्या बढ़ा दी गयी, जिनका संबंध प्रखंडों या अंचलों से नहीं है, क्योंकि संयुक्त सचिव से विशेष सचिव स्तर तक के अधिकारियों को बीडीओ या सीओ के रूप में पदस्थापित नहीं किया जा सकता है.

तय समय से पहले हुई बैठक : मुख्यमंत्री के आदेश के बाद फाइल तैयार हुई. उसी दिन फाइल संयुक्त सचिव के पास पहुंच गयी. छह अगस्त को विभागीय सचिव के पास पहुंची. 24 अगस्त तक यह फाइल उनके पास पड़ी रही. 25 अगस्त से अचानक इसमें तेजी आयी. उसी दिन मुख्यमंत्री की सहमति भी मिल गयी. 28 अगस्त को फाइल विभाग में लौटी. कार्मिक के अवर सचिव से विभागीय सचिव तक की सहमति के साथ फाइल मुख्य सचिव के पास पहुंच गयी. उन्होंने भी उसी दिन फाइल निबटा दी. सीएस ने तीन सितंबर को कैडर स्ट्रेंथ की समीक्षा के लिए प्रशासी पदवर्ग समिति की बैठक बुलाने का निर्देश दिया. पर यह बैठक दो सितंबर को ही कर ली गयी.

दो दिन में ही कैबिनेट की मंजूरी

पर प्रशासी पदवर्ग समिति ने राज्य प्रशासनिक सेवा की मूल कोटि के 743, अवर सचिव के 272 व उप सचिव स्तर के 209 पदों को बढ़ाने की अनुशंसा नहीं की. समिति ने संयुक्त सचिव स्तर के पदों को 60 से बढ़ा कर 135, अपर सचिव स्तर के पांच पदों को बढ़ा कर 20 और विशेष सचिव स्तर के तीन पदों को बढ़ा कर 15 करने की अनुशंसा की. समिति के एक सदस्य ने इस पर अपना हस्ताक्षर नहीं किया. समिति की बैठक के बाद फाइल तीन सितंबर को विभाग में लौटी. चार सितंबर को समिति की अनुशंसा से संबंधित फाइल अवर सचिव, संयुक्त सचिव, विभागीय सचिव, मुख्य सचिव के माध्यम से होते हुए मुख्यमंत्री के पास गयी.

उन्होंने समिति की अनुशंसा पर सहमति दे दी. फिर उसी दिन इस मामले को कैबिनेट में पेश करने के लिए कार्मिक विभाग के अधिकारियों के माध्यम से फाइल वित्त, मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री तक पहुंची. मुख्यमंत्री की सहमति के बाद इस मामले को उसी दिन कैबिनेट की बैठक में पेश किया गया और पदों के सृजन पर कैबिनेट की सहमति मिली.

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